रविवार, 16 जून 2024

गंगा में नहाने से पाप क्यों नही धुलते

*नहाये धोये क्या हुआ, जो मन का मैल न जाए।*
*मीन सदा जल में रहें, धोए बास न जाए।*
*अर्थ:* आप कितना भी नहा धो लीजिए, लेकिन अगर मन साफ नहीं हुआ तो उसे नहाने क्या फायदा जैसे मछली हमेशा पानी में रहती है लेकिन फिर भी वह साफ नहीं होती मछली में तेज बदबू आती है।
*गंगाजी में धोया पाप कहाँ – कहाँ तक जाता है...?*
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एक बार किसी गाँव में एक महात्मा सत्संग कर रहे थे, तभी कहीं से एक चोर आकर सत्संग में बैठ गया। महात्मा के सत्संग का इतना प्रभाव हुआ कि चोर को अपने पाप कर्मों से घृणा होने लगी। सत्संग समाप्त होने के बाद चोर महात्मा के पास गया और अपने पापों के प्रायश्चित का उपाय पूछने लगा।
 
महात्माजी ने बोल दिया – “ गंगा स्नान कर आओ, तुम्हारे पाप धुल जायेंगे।”
 
वह चोर तो गंगा स्नान के लिए चला गया लेकिन तभी वहाँ बैठे लोगों में से एक युवक खड़ा हुआ और बोला – “ महात्माजी ! आप कहते है कि गंगा स्नान से पाप धुल जाते है तो इसका मतलब ये हुआ कि पाप गंगाजी में समा गये, मतलब गंगाजी भी पापी हो गई।”
 
युवक की बात का महात्माजी के पास कोई जवाब नहीं था । क्योंकि उन्होंने कभी इस बारे में सोचा ही नहीं कि गंगाजी से पाप कहाँ जाते है ? आखिरकार इस अनूठे प्रश्न का उत्तर जानने के लिए महात्माजी तपस्या करने लगे।
 
कई दिनों की तपस्या के बाद महात्माजी पर देवता प्रसन्न होकर प्रकट हो गये और वरदान मांगने को कहा। महात्माजी ने कहा – “ भगवन ! मुझे अपने एक प्रश्न का उत्तर चाहिए कि गंगा में धोया गया पाप कहाँ जाता है ?”
 
देवता अपने में मग्न, उन्हें भी पता नहीं कि गंगा में धोया पाप कहाँ जाता है ! अतः देवता बोले – “ चलो ! गंगाजी से ही पूछ लेते है और दोनों गंगाजी के पास पहुँचे। महात्माजी ने गंगाजी से प्रश्न किया – “ हे शीतल और परम पवित्र जल की अधिपति माँ गंगे ! कृपा करके हमें बताओं कि अनगिनत लोग आपमें जो पाप धोते है, उनसें क्या आप भी पापी होती हो ?”
 
गंगाजी ने प्रसन्नता से कहा – “ भला मैं क्यों पापी हुई, मैं तो अपना सारा जल पापों सहित समुन्द्र को समर्पित कर देती हूँ । उसके बाद उन पापों का समुन्द्र देवता क्या करते है ? ये उन्हीं से पूछों ।
 
देवता महात्मा को लेकर समुन्द्र के पास गये और बोले – “ हे जलसिंधू ! माँ गंगे अपने सम्पूर्ण जल के साथ जो पाप आपको अर्पित देती है । उनसे क्या आप पापी होते है ?”
 
सागर ने कहा – “ मैं तो अपना सम्पूर्ण जल सूर्य के ताप से भाप बनाकर बादलों में परिवर्तित कर देता हूँ । इसलिए भला मैं क्यों पापी हुआ ?”
 
अब देवता महात्माजी को बादलों के पास ले गये और महात्माजी ने बादलों के सामने भी अपना प्रश्न दोहराया – “ हे मेघा ! समुन्द्र जो पापों सहित जल को भाप बनाकर बादलों में परिवर्तित कर देते है । तो क्या उन पापों से बादल पापी होते है ?”
 
बादल बोले – “ भाई ! हम क्यों पापी हुए, हम तो सारा जल यथा ऋतू पृथ्वी पर भेज देते है । ये प्रश्न पृथ्वी से करो कि वह पापों का क्या करती है ?”
 
अब देवता महात्माजी को पृथ्वी के पास ले गये और बोले – “ हे जगत को धारण करने वाली माँ धरती, बादल जल की बूंदों के साथ पापों की जो वर्षा करते है, वो पाप आपमें समा जाते है । तो क्या उनसे आप पापी होती है ?”
 
पृथ्वी बोली – “ मैं क्यों पापी हुई ! मैं उन पापों को मिट्टी के माध्यम से अन्न में भेज देती हूँ । अब ये बात तो आप अन्न से पूछो कि वो उन पापों का क्या करता है ?”
 
अब दोनों अन्न देवता के पास गये और बोले – “ हे अन्न देवता ! पृथ्वी सारे पाप आपको भेजती है, तो क्या आप पापी हुए ?”
 
अन्न देवता बोले – “ मैं क्यों पापी हुआ ? जो मनुष्य मुझे जिस मनःस्थिति और वृति से उगाता है या प्राप्त करता है । जिस मनःस्थिति और वृति से बनाया और खिलाया जाता है । उसी मनःस्थिति और वृति के अनुरूप मैं पापों को उन मनुष्यों तक पहुँचा देता हूँ । जिसे खाकर उन मनुष्यों की बुद्धि भी वैसी ही पापी हो जाती है जो उनसे उनके कर्मों का फल देने वाले कार्य करवाती है ।”
 
शायद इसीलिए कहा गया है – “ जैसा खाय अन्न, वैसा होय मन ”
 
यह कहानी कितनी सच है ये महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि इससे एक बड़े महत्वपूर्ण सत्य को उद्घाटित किया गया है । पाप कर्मों को गंगाजी में धोने का मतलब है मन को पाप कर्मों से मुक्त करना । यदि मन में पाप और अपवित्रता है तो गंगाजी में धोया पाप अन्न के माध्यम से फिर से हमें ही मिलने वाला है । क्योंकि अन्न को जिस वृति से कमाया और बनाया जाता है, उससे वैसे ही संस्कार बनते है ।
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श्री मंशापूर्ण ज्योतिष केंद्र शिवपुरी
डॉ विकासदीप शर्मा 9993462153
9425137382

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शनिवार, 11 सितंबर 2021

पित्र पक्ष आने के पूर्व से ही रूष्ट पितरो के कारण घरों में दिखने लगते है पितरो के संकेत

**पित्र पक्ष 20 सितंबर 2021 से शुरू होंगे* । डॉ विकास दीप शर्मा श्री मंशापूर्ण ज्योतिष 
 *पित्र पक्ष आने के पूर्व से ही रूष्ट पितरो के कारण घरों में दिखने लगते है पितरो के संकेत
*
जिनके पितर नाराज होते है  उन घरों में कई तरह की समस्याएं दिखने लगती हैं. 

जैसे- मन मे अशांति, कलह नकारात्मकता अधिक आने लगेगी,, घर से बदबू या दुर्गंध का आना लेकिन बदबू या दुर्गंध कहां से आ रही है इसकी पहचान न हो पाना, घर मे सर्प दिखना या  सपने में बार-बार पूर्वजों का आना या सपने में भी सर्प, पानी दिखना , गर्भ हानि होना , परिवार के किसी सदस्य का बीमार हो जाना या  परिवार के सदस्य के  द्वारा जमीन की खरीद-फरोख्त में समस्या आना, पैतृक संपत्ति को लेकर झगड़ा या विवाद हो जाना,  घर के लोगो मे  पारिवारिक किसी विषय को लेकर संबंधियों में मन मुटाव आ जाता है आदि पितरों के नाराज होने के लक्षण हैं.।।

*स्वयं जाने की आपके परिवार में पितृ रूष्ट है या संतुष्ट
हर इंसान चाहता है कि उसके घर में लड़ाई झगड़ें ना हों लेकिन इसके बावजूद भी ऐसा हो जाता है, यह सब पितृ रूष्ट या असंतुष्ट या असंतृप्त होने की वजह से भी हो सकता है।

कई बार पितृ पक्ष में की गयी छोटी-छोटी गलतियों की वजह से भी आपके घर में अशांति का माहौल बन जाता है, ऐसे में आपको बड़ी ही सावधानी से रहना चाहिए। 
कई बार आपको ऐसा लगता है कि आपके घर में अदृश्य शक्तियां हैं तो ये सब पितृदोष की वजह से हो सकता है।

अगर आप बार-बार किसी कानूनी पचड़े में फंस रहे हैं तो इसका मतलब है कि आपके पूर्वज आपसे नाखुश चल रहे हैं.

अगर आपको आपकी संतानें कष्ट देती हैं तो ये भी पितृ दोष की ही समस्या हो सकती है।

अगर समाज में लोग आपसे दूर होते जा रहे हैं और आपके मान-सम्मान में कमी आ रही है तो ये भी पितृ दोष के ही लक्षण हो सकते हैं।

अगर आप अचानक से किसी गंभीर बीमारी का शिकार हो जाते हैं तो ये भी आपके पितृ दोष की वजह से ही हो सकता है।

अगर आपके घर में किसी का बार-बार एक्सीडेंट हो रहा है तो ये पितृदोष की वजह से हो सकता है। 

आप अगर चाहें तो पितृपक्ष में अपने पूर्वजों को दुबारा से प्रसन्न कर सकते हैं इससे आप फिर से अपनी सामान्य जिंदगी जी सकते हैं । क्योंकि यह 16 दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माने जाते है क्योंकि इस समय हमारे पूर्वज पित्र स्वयं पृथ्वी पर विराजते हैं । और अपने अपने वंशजो से आशा करते है कि वो उनका मान सम्मान करें उनकी तिथि अनुसार भोजन, दान इत्यदि करे । जब हम लोग पित्र पक्ष में अपने पितरो के लिए तर्पण, श्राद्ध कर्म इत्यादि करते है तो पित्र देव हमको वर्ष भर सुखी और प्रसन्न होने का आशीर्वाद देकर जाते है ।। ऐसा हमारे शास्त्र ओर पुराणों में लिखा गया है । और अनुभव सिद्ध बात भी यही है ।
 **डॉ विकास दीप शर्मा* 
 *श्री मंशापूर्ण ज्योतिष 
शिवपुरी** 993462153
9425137382

सोमवार, 5 अप्रैल 2021

देव गुरु वृहस्पति मकर से कुम्भ राशि मे 06 अप्रैल 2021 को बदलेंगे अपनी चाल

*देवगुरु बृहस्पति का राशि परिवर्तन:*
**6 अप्रैल 2021 मंगलवार
*श्री मंशापूर्ण ज्योतिष*

*समस्त ग्रहों में देवगुरु बृहस्पति को एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है जिसकी चाल से देश और दुनिया के आने वाले समय के बारे जाना जाता है। दिसंबर 2019 में जब गुरु ने राशि परिवर्तन किया था तो इसे कोरोना से जोड़ कर भी देखा गया। गुरु- शनि की युति ने इस महामारी को आगे बढ़ाया।*

*कुंभ भी शनि की राशि है जो बृहस्पति की शत्रु राशि है। मेरा यह मानना है कि जब तक शनि अपनी दो राशियों मकर और कुंभ से बाहर नहीं निकलते, तब तक कोरोना और किसान / जनांदोलन चलते रहेंगे और यह सिलसिला अगले 13 महीनों तक चलने की संभावना है।*
लेकिन महामारी के इस काल मे अब  अंतर ओर सुधार की सम्भावना अवश्य रहेगी  पूर्ण रूप से अभी समापन तो नही होगा क्योंकि मकर राशि मे गुरु नीचत्व स्वभाव में होते है और कुम्भ में  बलशाली हो जाते है । गुरु का  नीचत्व योग  ओर शनि के साथ युतीं अत्यधिक वर्षों बाद बनी थी ।। लेकिन अब थोड़ा थोड़ा सुधार और इसकी बेकसीन  लगवाने की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी  । लोगो मे जागृति बढ़ेगी । 

●        *नए संवत 2078 और नवरात्रि 13 अप्रैल से आरंभ हो रहे हैं। राक्षस नामक इस संवत में राजा और मंत्री दोनों ही मंगल हैं जो आने वाले समय में हिंसा, उपद्रव, दुर्घटनाओं, प्राकृतिक आपदाओं, अधिक गर्म मौसम का संकेत दे रहे हैं।


*देवगुरु बृहस्पति का गोचर - 2021*

●      5-6 अप्रैल 2021 रात्रि 12.25 बजे से मकर से कुंभ में प्रवेश. (वर्ष में पहला राशि परिवर्तन). कई पंचांगों की गढ़ना अनुसार समय मे कुछ मतभेद हमेशा से बना रहता है ।।

●       *20 जून 2021 रात्रि 8.34 बजे वक्री गुरु कुंभ राशि में.*

●       14 सितंबर 2021 दोप. 2.34 बजे वक्री गुरु पुन: मकर में.

●       *18 अक्टूबर 2021 प्रात: 11.02 बजे मार्गी मकर राशि में.*

●        20 नवंबर 2021 रात्रि 11.15 बजे मार्गी गुरु पुन: कुंभ में.

●         *23 फरवरी 2022 सायं 7.00 बजे गुरु अस्त पश्चिम में.*

●         13 अप्रैल 2022 सायं 4.58 बजे कुंभ से मीन में प्रवेश.

(वर्ष 2021 में देव गुरु बृहस्पति कुल 120 दिन वक्री रहेंगे)
   **श्री मंशापूर्ण ज्योतिष*
*डॉ विकासदीप शर्मा**9425137382 


●         *इस राशि परिवर्तन से वृषभ, मेष और मिथुन राशि वालों के लिए सकारात्मकता और खुशियों का पिटारा होगा। इन लोगों को विद्या में सफलता तो मिलेगी। साथ ही धन के लाभ मामले में इनके लिए बहुत ही शुभ योग हैं।*

●        *इसके अतिरिक्त कर्क, सिंह और कन्या राशि के लिए समय थोड़ा मुश्किल भरा रह सकता है। इन लोगों को कई चिंताओं का सामना करना पड़ेगा।*

●     *तुला एवं वृश्चिक राशि वालों को संतान सुख के साथ धन लाभ के योग हैं। इन लोगों के लिए समय बहुत ही उत्तम रहेगा.*

बुधवार, 10 फ़रवरी 2021

ग्रहो का राशि परिवर्तन 2021 में और गुरु शनि युति 1962 के समय की ग्रह चाल समान तो नही

9 फरवरी 2021 को मकर राशि मे 20:30:29 को चन्द्रमा ने मकर मे प्रवेश किया इस तरह मकर राशि मे 7 ग्रहो की युति हो गई । जिसमे 6 मुख्य ग्रह है और साथ मे प्लूटो भी है । यह एक दुर्लभ संयोग है । 
ऐसा योग 3 फरवरी 1962 मे भी हुआ था तब राहु को छोड़कर सभी ग्रह मकर राशि मे थे । लेकिन उस युति और आज की युति मे बहुत बड़ा अंतर यह है की 1962 मे केतु भी शामिल था और सब पर राहु की दृष्टी पड़ रही थी इसलिए 1962 मे बहुत भयावह स्थिति बनी थी क्यूबा मे सोवियत संघ ने मिसाइल तैनात किये थे जिसके कारण विश्व युद्ध जैसी स्थिति बन गयी थी क्योंकि इस कदम की अमेरिका ने अपने ऊपर हमले के रूप मे लिया था । साथ ही साथ उसी साल अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की हत्या भी हुयी थी । भारत की बात करें तो उस साल हमारा युद्ध चीन से हुआ था जिसमे हमारी पराजय हुई थी और बहुत से लोगो की जाने चली गयी थी । उसी साल पहला सेटेलाइट अंतरिक्ष मे स्थापित हुआ था जिससे TV प्रसारण के क्षेत्र मे क्रांति आई थी और आज का युग उसी का परिणाम है । उसी साल सम्पूर्ण विश्व मे कई आर्थिक सुधार भी हुए थे हमें यह नहीं भूलना चाहिए । यानि ऐसी युति बहुत बड़े मौलिक परिवर्तन को भी जन्म देती है । अब आते है वर्तमान स्थिति पर तो हम देख सकते है की प्रत्यक्ष रूप से राहु, केतु और मंगल इस युति का हिस्सा नहीं है अतः इस युति से बहुत भयानक परिणामो की उम्मीद करना व्यर्थ है । 

सूर्य को ग्रहो का राजा कहा गया है जो शासन और सत्ता को दर्शाता है वो शनि की राशि मे है और मकर राशि पृथ्वी तत्व की राशि है और शनि स्व राशि मे है अतः कही न कही वर्तमान सरकारों को जनता के आक्रोश का सामना करना ही पड़ेगा 

गुरु अपनी नींच राशि मे है अतः सरकार अपनी बात जनता को समझा नहीं पायेगी 

बुद्ध वक्री है अतः दोनों मे संवाद हीनता या गलत सन्देश का जाना भी देखा जायेगा । 

शुक्र की स्थिति इस राशि मे न्यूट्रल होती है अतः आर्थिक दृष्टी से इसे बहुत बुरा नहीं कहा जा सकता है । 

मेदिनी ज्योतिष अनुसार विश्व या  देश की  कुण्डली में प्लूटो को truth of universe भी कहा जाता है 
अतः कुछ भूतकाल के रहस्य उजागर हो सकते है । चुंकि देव गुरु वृहस्पति और दानव गुरु शुक्र साथ है अतः सकारात्मक और नकारात्मक सोच मे टकराव देखा जायेगा । हर व्यक्ति खुद को सही मानते हुए अगले की आलोचना करेगा ।

 वृष मे स्थिति राहु की नवम् दृष्टी मकर राशि पर है अतः कही न कही सम्पूर्ण विश्व मे भ्रम की स्थिति रहेगी और गुप्त शत्रु सक्रिय रहेंगे । 

चन्द्रमा सबसे तेजी से गति करता है तो जैसे जैसे वो इन ग्रहो के करीब से गुजरेगा परिणाम तेजी से बदलेंगे । जैसे जब वो सूर्य के पास आएगा तो सरकार को जनता का समर्थन मिल सकता है । जब शुक्र के करीब होगा तो अर्थव्यवस्था मे कोई बड़ा परिवर्तन संभव है । जब वक्री बुध से सम्बन्ध बनाएगा तो छोटे मोटे भूकंप की सम्भावना बनेगी । गुरु से मिलेगा तो कोई नई विचारधारा का उदय संभव है । शनि से सम्बन्ध माने तो कोई विश्व पटल पर अनचाही घटना हो सकती है उग्र प्रदर्शन हो सकता है सत्ता के विरुद्ध उसी प्रकार प्लूटो के साथ मिलकर यह कोई रहस्य उजागर करा सकता है । 

शुक्र को मृतसंजीवनी विद्या का जानकार कहा गया है अतः कोरोना का प्रभावी उपचार मिलेगा और औषधि व स्वस्थ्य क्षेत्र मे परिवर्तन का योग भी नजर आ रहा है । नक्षत्र स्थिति के हिसाब से देखे तो ज्यादातर ग्रह श्रवण नक्षत्र मे है जो चन्द्रमा का नक्षत्र है जैसा की नाम से स्पष्ट है हमें बहुत कुछ अच्छा या बुरा सुननें को मिलेगा ।

 सूर्य मंगल के नक्षत्र मे है यानि सरकारे सेना पुलिस या ताकत से स्थिति को काबू करने का प्रयास कर सकती है ।
 मंगल शुक्र के नक्षत्र मे है जो इस युति का हिस्सा है अतः कठोर आर्थिक कदम की उम्मीद की जा सकती है । 

राहु मंगल के नक्षत्र मे है अतः सेना या पुलिस पर हमला भी दिखाई दे रहा है ।
 केतु बुध के नक्षत्र मे है अतः हमें कम्युनिकेशन क्षेत्र मे नई क्रांति दिख सकती है और यह भ्रामक बातो के फैलाव को भी दर्शा रहा है । 

अब यदि दृष्टी की बात करें तो मकर मे स्थित सभी ग्रह कर्क राशि को देख रहे है जो जलीय राशि है अतः पृथ्वी पर जल से सम्बंधित दुर्घटना का प्रबल योग है । चन्द्रमा मन का भी कारक है अतः मन थोड़ा व्यथित रहेगा । 

जैमिनी दृष्टी के हिसाब से इस युति का प्रभाव वृष, सिँह और वृश्चिक राशि पर ज्यादा पड़ेगा अतः यह राशियां आपकी कुंडली मे जिस भाव का प्रतिनिधित्व करती है उसके प्रति सावधान रहने की जरुरत है ।
 सर्व अष्टक  वर्ग मे नजर डाले तो सबसे ज्यादा बिंदु वृश्चिक राशि को मिल रहे है जो बहुत बड़े बदलाव का भी सूचक है अतः कोई बड़ा बदलाव आर्थिक सामाजिक और विश्व स्तर पर हो सकता है । या कहे कि  यह वक़्त की जरुरत बनकर उभरेंगे । 

वराह मिहिर के अनुसार जब भी ऐसी युति रहती है तो इसका प्रभाव तब तक रहता है जब तक उस राशि का स्वामी राशि परिवर्तन नहीं करता है । मकर का स्वामी शनि है जो लगभग 2022 तक मकर मे रहेगा अतः इसका परिणाम शनि के राशि परिवर्तन तक देखा जायेगा । 

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है यह युति वास्तव मे भविष्य मे होने वाले किसी बड़े बदलाव की ओर इंगित कर रही है जिसके लिए हमें अभी से कमर कस लेनी चाहिए । 

मैं गुरूदेव ओर माई महाराज  से यही प्रार्थना करूँगा की आने वाला समय आप सबके लिए शुभ हो । इस काल खंड मे सबसे ज्यादा प्रभाव हमारे मन और दिमाग़ पर पड़ने वाला है अतः सभी को ध्यान का अभ्यास करना चाहिए । जो जप करते है उन्हें सोम गायत्री मन्त्र का जप करना चाहिए । और जितना हो सके खुद को सकारात्मक रखने का प्रयास करना चाहिए । लोग क्या कर रहे है इससे ज्यादा इस बात पर गौर करना चाहिए की हम क्या कर सकते है । 

श्री मंशापूर्ण ज्योतिष डॉ विकासदीप शर्मा ज्योतिषाचार्य 9993462153

शुक्रवार, 29 जनवरी 2021

14 जनवरी से मकर राशि मे सूर्य का शनि के साथ मिलन कैसा रहेगा

*श्री मंशापूर्ण ज्योतिष शिवपुरी* 
*मकर राशि में 5 ग्रहों का प्रभाव* 

●  14 जनवरी (मकर संक्रांति) से सूर्य का गोचर मकर राशि में प्रारंभ हो गया था तथा शनि एवं बृहस्पति पहले से ही मकर राशि में गोचर कर रहे थे.

●    *28 जनवरी से शुक्र भी मकर राशि में प्रवेश कर गए हैं.*

●   *मकर राशि में शनि तथा मेष राशि में यूरेनस ग्रह गोचर कर रहे हैं तथा 90 डिग्री का आपस में आसपैक्ट.*
मेदिनी ज्योतिष प्रकृति और देश के बारे में देखा जाता है जिसमे 3 ग्रह नेप्च्यून प्लूटो ओर हर्षल का विशेष प्रभाब देखा जाता है ।

●    *उपरोक्त के अतिरिक्त प्लूटो का भी मकर राशि में गोचर.*
》》    *28 जनवरी 2021 को सौर्य मंडल में गोचर कर रहे समस्त ग्रहों की उपरोक्त स्थिति से निम्न विशिष्ट स्थिति बनती दिखाई पड़ रही है;*

(1)   28 जनवरी को चंद्रमा कर्क राशि में पुष्य नक्षत्र के चौथे पद (13 ° 20 ° - 16 ° 40) मैं गोचर करेंगे. पुष्य को नक्षत्रों का राजा भी कहते हैं। माना जाता है कि पुष्य नक्षत्र से किए गए कार्य हमेशा सफल होते हैं। पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि व अधिष्ठाता बृहस्पति देव हैं। शनि के प्रभाव से इस नक्षत्र का स्वभाव स्थायी या लंबे समय तक होता है और बृहस्पति देव के कारण वह समृद्धिदायी होती है। 
       (यह पद पुष्य नक्षत्र के गूढ़ पक्ष से संबंधित है, जो सौर्य मंडल के खगोलीय रहस्य के साथ संबंध चाहता है। यह मंत्रों और अनुष्ठानों का भी पद कहा जाता है।)

   *राहु का वृष राशि में रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश. रोहिणी के देवता प्रजापति, स्वामी ब्रह्मा, ब्रह्मांड के निर्माता हैं। रोहिणी नक्षत्र बुद्धि और रचनात्मकता को दर्शाता है।*

*(यहां से राहु अश्विनी और स्वाति नक्षत्रों को प्रभावित करेगा। उनके अलावा, यह दोनों बुध शासित मिथुन और कन्या राशि पर भी प्रभाव डालेगा तथा साथ ही श्रवण नक्षत्रों को भी प्रभावित करेगा। श्रवण नक्षत्र में शनि एवं बृहस्पति अस्त है.)*
    *मकर राशि में  तथा उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में शुक्र एवं प्लूटो की युति.*
   *मकर राशि में  तथा श्रवण नक्षत्र में ही सूर्य से युति के साथ शनी एवं बृहस्पति अस्त्त.*
   *ज्‍योतिष की गणना बता रही है शनि के अस्‍त होने और बुध के उदय होने से मेदिनी ज्योतिष के लिए तो इसे अच्छा नहीं कहा जा सकता क्योंकि जनमानस में अराजकता फैलने की आशंका बढ़ जाती है। प्रशासनिक विभाग कमजोर पड़ने लगते हैं तथा जनता अपने आप से निर्णय लेने लगती है और कहीं ना कहीं कानून का उल्लंघन भी करती है। (जैसा कि 26 जनवरी को  किसानों द्वारा अपना आंदोलन निरंकुश एवं उग्र बनाना.)*
  *शीत लहरों में बढ़ोतरी होगी। उत्तर-पश्चिम राज्यों में बर्फबारी, आंधी-तूफान, तापमान में अचानक ज्यादा गिरावट देखने को मिलेगी। इसके साथ ही भूस्खलन, भूकंप के झटके, प्राकृतिक आपदाएं, समुद्र में तेज हलचल जैसी स्थितियां सामने भी आ सकती हैं। फसलों पर ओलों से नुकसान की आशंका रहेगी।*
  *मनुष्यों के साथ पशु-पक्षियों पर भी संकट बढ़ेगा। शनिदेव का वाहन कौवा है, इसलिए कौवों के द्वारा किसी रोग (जैसे की Bird Flu इत्यादि) तेजी से फैलने की पूर्ण आशंका है।*
   *शनि न्यायप्रिय और कर्मप्रधान ग्रह है। लेकिन निकट भविष्य में शासन प्रशासन की व्यवस्थाएं डगमगाएंगी। प्रशासनिक कार्यक्षेत्र में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।* 
    *देश की न्यायपालिका और अधिक सक्रिय हो जाएगी तथा शासन प्रशासन की निष्क्रियता की वजह से न्यायपालिका को अत्यंत कड़े एवं जन सामान्य के हित में निर्णय लेने पड़ेंगे (जैसे कि वर्तमान में चल रहे किसान आंदोलन के संबंध में).*

 **डॉ विकासदीप शर्मा
श्री मंशापूर्ण ज्योतिष* 
शिवपुरी 9993462153*

सोमवार, 11 जनवरी 2021

सिर्फ पांच बातें चाणक्य से सीख ली तो, दुनिया की कोई ताकत तुम्हें हरा नहीं सकती*


*आचार्य चाणक्य को ही कौटिल्य, विष्णु गुप्त और वात्सायन कहते हैं। उनके पिता का नाम चणक था। चणक का पुत्र होने के कारण उन्हें चाणक्य कहा गया। उनका जीवन बहुत ही कठिन और रहस्यों से भरा हुआ है। उन्होंने ही अर्थशास्त्र, कामसूत्र जैसे ग्रंथ लिखे हैं। तमाम विपरित परिस्थितियों में भी उन्होंने किस तरह खुद को बचाया और इस राष्ट्र को एकछत्र के नीचे लाकर एकसूत्र में बांधा। उनसे बहुत कुछ सिखा जा सकता है परंतु हम यहां पांत्र 5 ऐसी बातें बता रहे हैं जिसमें उनके जीवन का सार छुाप है। आपने ये 5 गुण सीख लिए तो शर्तिया आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता और आप जीवन में कभी हारेंगे नहीं।*

*1. साहस और प्रतिशोध :* चाणक्य के पिता चणक को मगध के सम्राट के आदेश पर चणक का कटा हुआ सिर राजधानी के चौराहे पर टांग दिया गया। अपराध था विलासी राजा को राज्य के प्रति जागृत करना। पिता के कटे हुए सिर को देखकर कौटिल्य (चाणक्य) की आंखों से आंसू टपक रहे थे। उस वक्त चाणक्य की आयु 14 वर्ष थी। रात के अंधेरे में उसने बांस पर टंगे अपने पिता के सिर को धीरे-धीरे नीचे उतारा और एक कपड़े में लपेट कर चल दिया। अकेले पुत्र ने पिता का दाह-संस्कार किया। तब कौटिल्य ने गंगा का जल हाथ में लेकर शपथ ली- 'हे गंगे, जब तक हत्यारे धनानंद से अपने पिता की हत्या का प्रतिशोध नहीं लूंगा तब तक पकाई हुई कोई वस्तु नहीं खाऊंगा। जब तक महामात्य के रक्त से अपने बाल नहीं रंग लूंगा तब तक यह शिखा खुली ही रखूंगा। मेरे पिता का तर्पण तभी पूर्ण होगा, जब तक कि हत्यारे धनानंद का रक्त पिता की राख पर नहीं चढ़ेगा...। हे यमराज! धनानंद का नाम तुम अपने लेखे से काट दो। उसकी मृत्यु का लेख अब मैं ही लिखूंगा।'... वही व्यक्ति जीवन में सफल होता है जिसमें साहस और लक्ष्य हो।

*2. अध्ययन के प्रति जुनून :* धनानंद से बचने के लिए कौटिल्य ने अपना नाम बदलकर विष्णु गुप्त रख लिया। एक विद्वान पंडित राधामोहन ने विष्णु गुप्त को सहारा दिया। राधामोहन ने विष्णु गुप्त की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें तक्षशिला विश्व विद्यालय में दाखिला दिलवा दिया। यह विष्णु गुप्त अर्थात चाणक्य के जीवन की एक नई शुरुआत थी। तक्षशिला में चाणक्य ने हर तरह की शिक्षा ग्रहण की और खूब मना लगाकर पढ़ाई की क्योंकि वह जानते थे कि शिक्षा और विद्वता ही मुझे बचा सकती है। चाणक्य ने अपने ज्ञान से बड़े बड़े विद्वानों को प्रभावित किया।... आपको भी यदि सफल होना है तो कोर्स की किताबों के अलावा हर तरह की किताबों का अध्ययन करना चाहिए।
*3. संपर्क और संबंधों का विस्तार :* चाणक्य के मन में अपनी प्रतिज्ञा और प्रतिशोध गहरे तक जमा हुआ था। वे उसे कभी भूले नहीं थे कि उनके पिता के साथ क्या हुआ है और उनका लक्ष्य क्या है। तक्षशिला में चाणक्य ने न केवल छात्र, कुलपति और बड़े-बड़े विद्वानों को अपनी ओर आकर्षित किया बल्की उसने पड़ोसी राज्य के राजा पोरस से भी अपना परिचय बढ़ा लिया। चाणक्य ने अपनी विद्वता से मगध के सभी पड़ोसी राज्यों के राजाओं से संपर्क और राज्य में जनता से संबंध बढ़ा लिए थे जिसके चलते उनकी प्रसिद्धि दूर दूर तक फैल गई थी।सिकंदर के आक्रमण के समय चाणक्य ने पोरस का साथ दिया।... संपर्क और पर्सनल संबंधों का विस्तार ही आपको जहां लोकप्रिय बनाता है वहीं वह समय पड़ने पर आपके काम भी आते हैं।

*4. शक्ति बटोरने के बाद लक्ष्य की ओर पहला कदम :* सिकंदर की हार और तक्षशिला पर सिकंदर के प्रवेश के बाद चाणक्य अपने गृह प्रदेश मगध चले गए और यहां से प्रारंभ हुआ उनका एक नया जीवन। उन्होंने विष्णुगुप्त नाम से शकटार से मुलाकात की। पिता का मित्र शकटार, जो अब बेहद ही वृद्ध हो चला था। चाणक्य ने देखा कि मेरे राज्य की क्या हालत कर दी है घनानंद ने। उधर, विदेशियों का आक्रमण बढ़ता जा रहा है और इधर ये दुष्ट राजा नृत्य, मदिरा और हिंसा में डूबा हुआ है। एक बार विष्णु गुप्त भरीसभा में पहुंच गए। चाणक्य ने उस दरबार में क्रोधवश ही अपना परिचय तक्षशिला के आचार्य के रूप में दिया और राज्य के प्रति अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने यूनानी आक्रमण की बात भी बताई और शंका जाहिर की कि यूनानी हमारे राज्य पर भी आक्रमण करने वाला है। इस दौरान उन्होंने राजा धनानंद को खूब खरी-खोटी सुनाई और कहा कि मेरे राज्य को बचा लो महाराज। लेकिन भरी सभा में आचार्य चाणक्य का अपमान हुआ, उपहास उड़ाया गया। चाणक्य यही चाहते थे तभी तो राज्य में उनके होने की उपस्थिति फैल गई।...आप जब तक अपने लक्ष्य की ओर कदम नहीं बढ़ाते हैं तब तक लक्ष्य भी सोया ही रहेगा।

*5. अपनी खुद की टीम बनाओ और जीत लो दुनिया :* बाद में चाणक्य फिर से शकटार से मिलते हैं और तब शकटार बताते हैं कि राज्य में कई असंतोषी पुरुष और समाज है उनमें से एक है चंद्रगुप्त। चंद्रगुप्त मुरा का पुत्र है। किसी संदेह के कारण धनानंद ने मुरा को जंगल में रहने के लिए विवश कर दिया था। अगले दिन शकटार और चाणक्य ज्योतिष का वेश धरकर उस जंगल में पहुंच गए, जहां मुरा रहती थी और जिस जंगल में अत्यंत ही भोले-भाले लेकिन लड़ाकू प्रवृत्ति के आदिवासी और वनवासी जाति के लोग रहते थे। वहां चाणक्य ने चंद्रगुप्त को राजा का एक खेल खेलते हुए देखा। तब चाणक्य ने चंद्रगुप्त को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया और फिर शुरु हुआ चाणक्य का एक और नया जीवन। कौटिल्य उर्फ विष्णु गुप्त अथार्त चणक पुत्र चाणक्य ने तब चंद्रगुप्त को शिक्षा और दीक्षा देने के साथ ही भील, आदिवासी और वनवासियों को मिलाकर एक सेना तैयार की और धननंद के साम्राज्य को उखाड़ फेंककर चंद्रगुप्त को मगथ का सम्राट बनाया। बाद में चंद्रगुप्त के साथ ही उसके पुत्र बिंदुसार और पौत्र सम्राट अशोक को भी चाणक्य ने महामंत्री पद पर रहकर मार्गदर्शन दिया।...कोई भी व्यक्ति अकेला जरूर चलता है परंतु वह अकेला लक्ष्य तक पहुंच नहीं सकता। यह बात आप हमेशा ध्यान रखें कि आपकी सफलता सिर्फ आपकी सफलता नहीं होती है। इसमें कई लोगों का योगदान रहता है जिससे भूलना नहीं चाहिए।

रविवार, 10 जनवरी 2021

2021 गौचर ग्रहो की चाल माह जनवरी फरवरी 2021

*वर्तमान महीने के दौरान ग्रह गोचर और प्रभाव* *श्री मंशापूर्ण ज्योतिष* 

 *बुध ग्रह का गोचर* : वर्तमान समय में बुध का गोचर 5 जनवरी से मकर राशि में उसके बाद 25 जनवरी से कुंभ राशि में गोचर करेंगे,  30 जनवरी को बुध वक्री भी होंगे अगले 22 दिनों के लिए । इस अनुसार 8 जनवरी से लेकर 29 जनवरी दरम्यान बुध अपने पूर्ण शुभ प्रभाव गोचर में देंगे, ज्योतिष शास्त्र में  बुध ग्रह धन, वाणी, मित्रता और व्यवसायक सफलता के कारक हैं इस नाते इन सभी विषयों में बुध सकारात्मक फल देंगे, अन्य भी जो महत्वपूर्ण कार्य जो धन से संबंधित हों किसी भी तरह की खरीदारी या बेचने से संबंधित हों वह भी  8 जनवरी के बाद  से शुभ है ।  ज्योतिष अनुसार बुध ग्रह का गोचर 1, 2, 3, 5, 6, 7, 11वे भाव में शुभता देता है । लेकिन आपकी जन्म कुण्डली में भी बुध ग्रह की स्थिति अच्छी होनी चाहिए तभी आपको बुध का यह गोचर शुभकारी परिणाम देगा । जबकि बुध का गोचर 4, 8, 9, 10 और 12वे भाव में कष्टकारी होता है । 

 *शुक्र_ग्रह_का_गोचर* : वर्तमान समय में शुक्र का गोचर 4 जनवरी से धनु राशि में  आ गया है और उसके बाद 28 जनवरी से मकर राशि में गोचर करेंगे । धनु राशि शुक्र के लिए शत्रु राशि होने के कारण यहाँ शुक्र अपने शुभ प्रभाव नहीं दे पाता, इस अनुसार जनवरी महीने में नई साँझीदारी या नया रिश्ता जोड़ने से परहेज़ करें, उच्च शिक्षा या दूर की यात्रा के लिए भी समय शुभकारी नहीं होगा, इसके इलावा नया वाहन खास कर गाड़ी या किसी भी तरह की research से जुड़े कार्य भी जनवरी महीने में शुभता नहीं देंगे । ज्योतिष अनुसार शुक्र का गोचर 2, 4, 7, 8, 11 और 12वे भाव में शुभकारी होता है । जबकि 3, 5, 6, 9 और 10वे भाव में यह गोचर कुछ विशेष लाभ नहीं देता । 

 *सूर्य_ग्रह_का_गोचर* : वर्तमान समय में सूर्य धनु राशि में गोचर कर रहे हैं जो कि 14  जनवरी 2021 को मकर राशि में गोचर करेंगे अगले 30 दिन के लिए । धनु और मकर दोनों में ही सूर्य शुभकारी परिणाम देता है, क्योंकि धनु राशि सूर्य के मित्र ग्रह बृहस्पति की राशि है, जबकि कालपुरुष कुण्डली अनुसार मकर राशि में सूर्य दिशा बलि होकर मज़बूत होता है, लेकिन इस बार शनि  देव भी मकर राशि में गोचर कर रहे हैं इस कारण *सूर्य शनि* युति मकर राशि में होने से पिता पुत्र कलह , प्रजा और सरकार के बीच टकराव, ज़मीन से आजीविका वालों को समस्या रहेगी, सरकारी कर्मचारी भी नियम और अनुशासन का पालन करें । खास कर जिनकी जन्म कुण्डली में पहले से ही सूर्य खराब है वह सूर्य के मकर राशि में गोचर के दौरान सावधानी बरतें । आपकी जन्म कुण्डली में सूर्य की स्थिति के अनुसार सूर्य जिन भी कारक विषयों के स्वामी होंगे उनसे संबंधित फल खराब होंगे , विशेष कर पिता, सरकार , बड़े भाई , बड़े अधिकारियों की तरफ से परेशानी रहेगी  । ज्योतिष अनुसार सूर्य का गोचर जन्म कुण्डली के 3, 6, 10, 11वे भाव में शुभता देता है, जबकि 1, 4, 7, 8 और 12वे भाव में सूर्य का गोचर कष्टकारी होता है । 
 *मंगल_ग्रह_का_गोचर* : पूरे जनवरी महीने में मंगल का गोचर मेष राशि में रहेगा । *मेष मंगल की खुद की राशि है* और क्योंकि मेष राशि का तत्व अग्नि है इस कारण  अग्नि तत्व राशि में मंगल और उग्र हो जाता है, इस कारण मंगल की कारक विषय जैसे कि छुरी, तेजधार हथियार से चोट का भय रहेगा, दोस्तों या पड़ोसी से झगड़ा हो सकता है, आग और कैमिकल के कार्य करते समय सावधानी बरतें, लेकिन अगर यही मंगल का गोचर आपकी चन्द्र राशि अनुसार 2, 3, 6, 9, 10, 11वे भाव में है तो इसके फल बहुत सकारात्मक होंगे, ज़मीन से जुड़े विषयों में या फिर नोकरी कारोबार में मित्र या भाई के माध्यम से कुछ अच्छा हो सकता है, ज़मीन की खरीद बेच में अच्छा मुनाफा हो सकता है । लेकिन मंगल के इन सकारात्मक फल प्राप्ति के लिए आपकी जन्म कुण्डली में भी मंगल की स्थिति मित्र राशि में या अपनी या उच्च राशि में मंगल की स्थिति होनी चाहिए । जबकि 1, 4, 7, 8 और 12वे भाव में गोचर कष्टकारी होता है । जिनके लिए भी यह गोचर शुभ भाव में है वह अपने साथ लाल रुमाल रखें , किसी भी रूप में तांबा धारण करें ,  मंगलवार के दिन हनुमानजी की पूजा आराधना करें । 

 *बृहस्पति_देव गुरु अस्त  है:* वर्तमान समय में बृहस्पति का गोचर मकर राशि में है जो कि *19 जनवरी से अस्त होंगे और 16 फरवरी को उदय होंगे* । इस में महत्वपूर्ण बात यह है कि ब्रहस्पति ग्रह सफलता और लाभ प्राप्ति का कारक है , धार्मिक कार्यो का भी कारक है इस नाते यह सब कार्य 16 फरवरी तक स्थगित रहेंगे, दूर स्थान की यात्रा या रिश्ते जोड़ना भी शुभकारी नहीं रहेगा । किसी भी रूप में धन लगाने के कार्य बृहस्पति अस्त के समय ना करें । विशेष कर जिनके लग्न कुण्डली अनुसार बृहस्पति केंद्र या त्रिकोण भाव का स्वामी है वह पीले चने की दाल गुरुवार के दिन मंदिर में दें ।  *डॉ विकासदीप शर्मा* 9993462153
 *श्री मंशापूर्ण ज्योतिष शिबपुरी**

 *शनि देव _अस्त* : वर्तमान समय में शनि का गोचर मकर राशि में है जो कि *12 जनवरी से अस्त होंगे और 14 फरवरी को उदय होंगे ।* इस में महत्वपूर्ण बात यह है कि शनि ग्रह कार्य कुशलता, मेहनत, सेवक , अनुशासन के कारक हैं, शनि के अस्त होने से वृषभ और तुला लग्न वालों पर आलस्य रह सकता है क्योंकि शनि इनके लिए योगकारक ग्रह हैं, अन्य लग्न वालों को भी शनि की भाव स्वामी स्थिति अनुसार फल प्राप्ति में कमी आएगी, शनि को प्रजा यानी सहयोगियों के रूप में भी देखा जाता है, इस नाते प्रजा में सरकार प्रति क्रोध और बढ़ेगा, कार्यस्थल पर भी निम्न वर्ग के कर्मचारियों की वजह से अधिकारियों को समस्या आ सकती है, सामाजिक झगड़े बढ़ेंगे, सरकार के प्रति किसान और उग्र हो सकते हैं । सामान्य तौर पर इस समय अवधि में अफवाहों से दूर रहें, कोई बात सुन कर जल्दी ही क्रोध ना करें नहीं तो बेवजह समस्या बढ़ सकती है ।

 *पूर्णिमा_तिथि : 28 जनवरी दिन गुरुवार को पौष महीने की पूर्णिमा तिथि रहेगी* । पूर्णिमा तिथि के आराध्य देव नारायण जी हैं , इस लिए इस दिन ब्रहस्पति ग्रह की मज़बूती के लिए सत्य नारायण जी की कथा का आयोजन घर मे किया जाता है , जिनकी कुण्डली में बृहस्पति ग्रह कमज़ोर या पीड़ित या गुरु राहु की युति होती है उनको इस दिन व्रत करते हुए पीली चीज़ों का दान मंदिर में करना चाहिए । जिनकी जन्म कुण्डली में चंद्रमा और बृहस्पति कमजोर या पाप पीड़ित हों उनको इस दिन पूजा उपासना और दान करने चाहिए ।

 *अमावस्या_तिथि : 13 जनवरी दिन बुधवार को पौष महीने की अमावस्या तिथि रहेगी* । इस तिथि पर किये गए दान पुण्य पितरों को प्राप्त होते हैं, और मन्त्र जप पूजा उपासना से हमारे पितर प्रसन्न होते हैं । इस नाते जिनकी जन्म कुण्डली में पितर दोष हो, जिनकी जन्म कुण्डली में सूर्य चंद्र मंगल और बृहस्पति से संबंधित कुछ दोष हो उनको इस दिन जप तप पूजा उपासना दान पुण्य करने चाहिए । जिस से पितरों की कृपा से उनकी रुकी हुई तरक्की फिर से चल पड़ते हैं । 

 *डॉ विकासदीप शर्मा* 9993462153
 *श्री मंशापूर्ण ज्योतिष शिबपुरी**