शुक्रवार, 29 जनवरी 2021

14 जनवरी से मकर राशि मे सूर्य का शनि के साथ मिलन कैसा रहेगा

*श्री मंशापूर्ण ज्योतिष शिवपुरी* 
*मकर राशि में 5 ग्रहों का प्रभाव* 

●  14 जनवरी (मकर संक्रांति) से सूर्य का गोचर मकर राशि में प्रारंभ हो गया था तथा शनि एवं बृहस्पति पहले से ही मकर राशि में गोचर कर रहे थे.

●    *28 जनवरी से शुक्र भी मकर राशि में प्रवेश कर गए हैं.*

●   *मकर राशि में शनि तथा मेष राशि में यूरेनस ग्रह गोचर कर रहे हैं तथा 90 डिग्री का आपस में आसपैक्ट.*
मेदिनी ज्योतिष प्रकृति और देश के बारे में देखा जाता है जिसमे 3 ग्रह नेप्च्यून प्लूटो ओर हर्षल का विशेष प्रभाब देखा जाता है ।

●    *उपरोक्त के अतिरिक्त प्लूटो का भी मकर राशि में गोचर.*
》》    *28 जनवरी 2021 को सौर्य मंडल में गोचर कर रहे समस्त ग्रहों की उपरोक्त स्थिति से निम्न विशिष्ट स्थिति बनती दिखाई पड़ रही है;*

(1)   28 जनवरी को चंद्रमा कर्क राशि में पुष्य नक्षत्र के चौथे पद (13 ° 20 ° - 16 ° 40) मैं गोचर करेंगे. पुष्य को नक्षत्रों का राजा भी कहते हैं। माना जाता है कि पुष्य नक्षत्र से किए गए कार्य हमेशा सफल होते हैं। पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि व अधिष्ठाता बृहस्पति देव हैं। शनि के प्रभाव से इस नक्षत्र का स्वभाव स्थायी या लंबे समय तक होता है और बृहस्पति देव के कारण वह समृद्धिदायी होती है। 
       (यह पद पुष्य नक्षत्र के गूढ़ पक्ष से संबंधित है, जो सौर्य मंडल के खगोलीय रहस्य के साथ संबंध चाहता है। यह मंत्रों और अनुष्ठानों का भी पद कहा जाता है।)

   *राहु का वृष राशि में रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश. रोहिणी के देवता प्रजापति, स्वामी ब्रह्मा, ब्रह्मांड के निर्माता हैं। रोहिणी नक्षत्र बुद्धि और रचनात्मकता को दर्शाता है।*

*(यहां से राहु अश्विनी और स्वाति नक्षत्रों को प्रभावित करेगा। उनके अलावा, यह दोनों बुध शासित मिथुन और कन्या राशि पर भी प्रभाव डालेगा तथा साथ ही श्रवण नक्षत्रों को भी प्रभावित करेगा। श्रवण नक्षत्र में शनि एवं बृहस्पति अस्त है.)*
    *मकर राशि में  तथा उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में शुक्र एवं प्लूटो की युति.*
   *मकर राशि में  तथा श्रवण नक्षत्र में ही सूर्य से युति के साथ शनी एवं बृहस्पति अस्त्त.*
   *ज्‍योतिष की गणना बता रही है शनि के अस्‍त होने और बुध के उदय होने से मेदिनी ज्योतिष के लिए तो इसे अच्छा नहीं कहा जा सकता क्योंकि जनमानस में अराजकता फैलने की आशंका बढ़ जाती है। प्रशासनिक विभाग कमजोर पड़ने लगते हैं तथा जनता अपने आप से निर्णय लेने लगती है और कहीं ना कहीं कानून का उल्लंघन भी करती है। (जैसा कि 26 जनवरी को  किसानों द्वारा अपना आंदोलन निरंकुश एवं उग्र बनाना.)*
  *शीत लहरों में बढ़ोतरी होगी। उत्तर-पश्चिम राज्यों में बर्फबारी, आंधी-तूफान, तापमान में अचानक ज्यादा गिरावट देखने को मिलेगी। इसके साथ ही भूस्खलन, भूकंप के झटके, प्राकृतिक आपदाएं, समुद्र में तेज हलचल जैसी स्थितियां सामने भी आ सकती हैं। फसलों पर ओलों से नुकसान की आशंका रहेगी।*
  *मनुष्यों के साथ पशु-पक्षियों पर भी संकट बढ़ेगा। शनिदेव का वाहन कौवा है, इसलिए कौवों के द्वारा किसी रोग (जैसे की Bird Flu इत्यादि) तेजी से फैलने की पूर्ण आशंका है।*
   *शनि न्यायप्रिय और कर्मप्रधान ग्रह है। लेकिन निकट भविष्य में शासन प्रशासन की व्यवस्थाएं डगमगाएंगी। प्रशासनिक कार्यक्षेत्र में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।* 
    *देश की न्यायपालिका और अधिक सक्रिय हो जाएगी तथा शासन प्रशासन की निष्क्रियता की वजह से न्यायपालिका को अत्यंत कड़े एवं जन सामान्य के हित में निर्णय लेने पड़ेंगे (जैसे कि वर्तमान में चल रहे किसान आंदोलन के संबंध में).*

 **डॉ विकासदीप शर्मा
श्री मंशापूर्ण ज्योतिष* 
शिवपुरी 9993462153*

सोमवार, 11 जनवरी 2021

सिर्फ पांच बातें चाणक्य से सीख ली तो, दुनिया की कोई ताकत तुम्हें हरा नहीं सकती*


*आचार्य चाणक्य को ही कौटिल्य, विष्णु गुप्त और वात्सायन कहते हैं। उनके पिता का नाम चणक था। चणक का पुत्र होने के कारण उन्हें चाणक्य कहा गया। उनका जीवन बहुत ही कठिन और रहस्यों से भरा हुआ है। उन्होंने ही अर्थशास्त्र, कामसूत्र जैसे ग्रंथ लिखे हैं। तमाम विपरित परिस्थितियों में भी उन्होंने किस तरह खुद को बचाया और इस राष्ट्र को एकछत्र के नीचे लाकर एकसूत्र में बांधा। उनसे बहुत कुछ सिखा जा सकता है परंतु हम यहां पांत्र 5 ऐसी बातें बता रहे हैं जिसमें उनके जीवन का सार छुाप है। आपने ये 5 गुण सीख लिए तो शर्तिया आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता और आप जीवन में कभी हारेंगे नहीं।*

*1. साहस और प्रतिशोध :* चाणक्य के पिता चणक को मगध के सम्राट के आदेश पर चणक का कटा हुआ सिर राजधानी के चौराहे पर टांग दिया गया। अपराध था विलासी राजा को राज्य के प्रति जागृत करना। पिता के कटे हुए सिर को देखकर कौटिल्य (चाणक्य) की आंखों से आंसू टपक रहे थे। उस वक्त चाणक्य की आयु 14 वर्ष थी। रात के अंधेरे में उसने बांस पर टंगे अपने पिता के सिर को धीरे-धीरे नीचे उतारा और एक कपड़े में लपेट कर चल दिया। अकेले पुत्र ने पिता का दाह-संस्कार किया। तब कौटिल्य ने गंगा का जल हाथ में लेकर शपथ ली- 'हे गंगे, जब तक हत्यारे धनानंद से अपने पिता की हत्या का प्रतिशोध नहीं लूंगा तब तक पकाई हुई कोई वस्तु नहीं खाऊंगा। जब तक महामात्य के रक्त से अपने बाल नहीं रंग लूंगा तब तक यह शिखा खुली ही रखूंगा। मेरे पिता का तर्पण तभी पूर्ण होगा, जब तक कि हत्यारे धनानंद का रक्त पिता की राख पर नहीं चढ़ेगा...। हे यमराज! धनानंद का नाम तुम अपने लेखे से काट दो। उसकी मृत्यु का लेख अब मैं ही लिखूंगा।'... वही व्यक्ति जीवन में सफल होता है जिसमें साहस और लक्ष्य हो।

*2. अध्ययन के प्रति जुनून :* धनानंद से बचने के लिए कौटिल्य ने अपना नाम बदलकर विष्णु गुप्त रख लिया। एक विद्वान पंडित राधामोहन ने विष्णु गुप्त को सहारा दिया। राधामोहन ने विष्णु गुप्त की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें तक्षशिला विश्व विद्यालय में दाखिला दिलवा दिया। यह विष्णु गुप्त अर्थात चाणक्य के जीवन की एक नई शुरुआत थी। तक्षशिला में चाणक्य ने हर तरह की शिक्षा ग्रहण की और खूब मना लगाकर पढ़ाई की क्योंकि वह जानते थे कि शिक्षा और विद्वता ही मुझे बचा सकती है। चाणक्य ने अपने ज्ञान से बड़े बड़े विद्वानों को प्रभावित किया।... आपको भी यदि सफल होना है तो कोर्स की किताबों के अलावा हर तरह की किताबों का अध्ययन करना चाहिए।
*3. संपर्क और संबंधों का विस्तार :* चाणक्य के मन में अपनी प्रतिज्ञा और प्रतिशोध गहरे तक जमा हुआ था। वे उसे कभी भूले नहीं थे कि उनके पिता के साथ क्या हुआ है और उनका लक्ष्य क्या है। तक्षशिला में चाणक्य ने न केवल छात्र, कुलपति और बड़े-बड़े विद्वानों को अपनी ओर आकर्षित किया बल्की उसने पड़ोसी राज्य के राजा पोरस से भी अपना परिचय बढ़ा लिया। चाणक्य ने अपनी विद्वता से मगध के सभी पड़ोसी राज्यों के राजाओं से संपर्क और राज्य में जनता से संबंध बढ़ा लिए थे जिसके चलते उनकी प्रसिद्धि दूर दूर तक फैल गई थी।सिकंदर के आक्रमण के समय चाणक्य ने पोरस का साथ दिया।... संपर्क और पर्सनल संबंधों का विस्तार ही आपको जहां लोकप्रिय बनाता है वहीं वह समय पड़ने पर आपके काम भी आते हैं।

*4. शक्ति बटोरने के बाद लक्ष्य की ओर पहला कदम :* सिकंदर की हार और तक्षशिला पर सिकंदर के प्रवेश के बाद चाणक्य अपने गृह प्रदेश मगध चले गए और यहां से प्रारंभ हुआ उनका एक नया जीवन। उन्होंने विष्णुगुप्त नाम से शकटार से मुलाकात की। पिता का मित्र शकटार, जो अब बेहद ही वृद्ध हो चला था। चाणक्य ने देखा कि मेरे राज्य की क्या हालत कर दी है घनानंद ने। उधर, विदेशियों का आक्रमण बढ़ता जा रहा है और इधर ये दुष्ट राजा नृत्य, मदिरा और हिंसा में डूबा हुआ है। एक बार विष्णु गुप्त भरीसभा में पहुंच गए। चाणक्य ने उस दरबार में क्रोधवश ही अपना परिचय तक्षशिला के आचार्य के रूप में दिया और राज्य के प्रति अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने यूनानी आक्रमण की बात भी बताई और शंका जाहिर की कि यूनानी हमारे राज्य पर भी आक्रमण करने वाला है। इस दौरान उन्होंने राजा धनानंद को खूब खरी-खोटी सुनाई और कहा कि मेरे राज्य को बचा लो महाराज। लेकिन भरी सभा में आचार्य चाणक्य का अपमान हुआ, उपहास उड़ाया गया। चाणक्य यही चाहते थे तभी तो राज्य में उनके होने की उपस्थिति फैल गई।...आप जब तक अपने लक्ष्य की ओर कदम नहीं बढ़ाते हैं तब तक लक्ष्य भी सोया ही रहेगा।

*5. अपनी खुद की टीम बनाओ और जीत लो दुनिया :* बाद में चाणक्य फिर से शकटार से मिलते हैं और तब शकटार बताते हैं कि राज्य में कई असंतोषी पुरुष और समाज है उनमें से एक है चंद्रगुप्त। चंद्रगुप्त मुरा का पुत्र है। किसी संदेह के कारण धनानंद ने मुरा को जंगल में रहने के लिए विवश कर दिया था। अगले दिन शकटार और चाणक्य ज्योतिष का वेश धरकर उस जंगल में पहुंच गए, जहां मुरा रहती थी और जिस जंगल में अत्यंत ही भोले-भाले लेकिन लड़ाकू प्रवृत्ति के आदिवासी और वनवासी जाति के लोग रहते थे। वहां चाणक्य ने चंद्रगुप्त को राजा का एक खेल खेलते हुए देखा। तब चाणक्य ने चंद्रगुप्त को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया और फिर शुरु हुआ चाणक्य का एक और नया जीवन। कौटिल्य उर्फ विष्णु गुप्त अथार्त चणक पुत्र चाणक्य ने तब चंद्रगुप्त को शिक्षा और दीक्षा देने के साथ ही भील, आदिवासी और वनवासियों को मिलाकर एक सेना तैयार की और धननंद के साम्राज्य को उखाड़ फेंककर चंद्रगुप्त को मगथ का सम्राट बनाया। बाद में चंद्रगुप्त के साथ ही उसके पुत्र बिंदुसार और पौत्र सम्राट अशोक को भी चाणक्य ने महामंत्री पद पर रहकर मार्गदर्शन दिया।...कोई भी व्यक्ति अकेला जरूर चलता है परंतु वह अकेला लक्ष्य तक पहुंच नहीं सकता। यह बात आप हमेशा ध्यान रखें कि आपकी सफलता सिर्फ आपकी सफलता नहीं होती है। इसमें कई लोगों का योगदान रहता है जिससे भूलना नहीं चाहिए।

रविवार, 10 जनवरी 2021

2021 गौचर ग्रहो की चाल माह जनवरी फरवरी 2021

*वर्तमान महीने के दौरान ग्रह गोचर और प्रभाव* *श्री मंशापूर्ण ज्योतिष* 

 *बुध ग्रह का गोचर* : वर्तमान समय में बुध का गोचर 5 जनवरी से मकर राशि में उसके बाद 25 जनवरी से कुंभ राशि में गोचर करेंगे,  30 जनवरी को बुध वक्री भी होंगे अगले 22 दिनों के लिए । इस अनुसार 8 जनवरी से लेकर 29 जनवरी दरम्यान बुध अपने पूर्ण शुभ प्रभाव गोचर में देंगे, ज्योतिष शास्त्र में  बुध ग्रह धन, वाणी, मित्रता और व्यवसायक सफलता के कारक हैं इस नाते इन सभी विषयों में बुध सकारात्मक फल देंगे, अन्य भी जो महत्वपूर्ण कार्य जो धन से संबंधित हों किसी भी तरह की खरीदारी या बेचने से संबंधित हों वह भी  8 जनवरी के बाद  से शुभ है ।  ज्योतिष अनुसार बुध ग्रह का गोचर 1, 2, 3, 5, 6, 7, 11वे भाव में शुभता देता है । लेकिन आपकी जन्म कुण्डली में भी बुध ग्रह की स्थिति अच्छी होनी चाहिए तभी आपको बुध का यह गोचर शुभकारी परिणाम देगा । जबकि बुध का गोचर 4, 8, 9, 10 और 12वे भाव में कष्टकारी होता है । 

 *शुक्र_ग्रह_का_गोचर* : वर्तमान समय में शुक्र का गोचर 4 जनवरी से धनु राशि में  आ गया है और उसके बाद 28 जनवरी से मकर राशि में गोचर करेंगे । धनु राशि शुक्र के लिए शत्रु राशि होने के कारण यहाँ शुक्र अपने शुभ प्रभाव नहीं दे पाता, इस अनुसार जनवरी महीने में नई साँझीदारी या नया रिश्ता जोड़ने से परहेज़ करें, उच्च शिक्षा या दूर की यात्रा के लिए भी समय शुभकारी नहीं होगा, इसके इलावा नया वाहन खास कर गाड़ी या किसी भी तरह की research से जुड़े कार्य भी जनवरी महीने में शुभता नहीं देंगे । ज्योतिष अनुसार शुक्र का गोचर 2, 4, 7, 8, 11 और 12वे भाव में शुभकारी होता है । जबकि 3, 5, 6, 9 और 10वे भाव में यह गोचर कुछ विशेष लाभ नहीं देता । 

 *सूर्य_ग्रह_का_गोचर* : वर्तमान समय में सूर्य धनु राशि में गोचर कर रहे हैं जो कि 14  जनवरी 2021 को मकर राशि में गोचर करेंगे अगले 30 दिन के लिए । धनु और मकर दोनों में ही सूर्य शुभकारी परिणाम देता है, क्योंकि धनु राशि सूर्य के मित्र ग्रह बृहस्पति की राशि है, जबकि कालपुरुष कुण्डली अनुसार मकर राशि में सूर्य दिशा बलि होकर मज़बूत होता है, लेकिन इस बार शनि  देव भी मकर राशि में गोचर कर रहे हैं इस कारण *सूर्य शनि* युति मकर राशि में होने से पिता पुत्र कलह , प्रजा और सरकार के बीच टकराव, ज़मीन से आजीविका वालों को समस्या रहेगी, सरकारी कर्मचारी भी नियम और अनुशासन का पालन करें । खास कर जिनकी जन्म कुण्डली में पहले से ही सूर्य खराब है वह सूर्य के मकर राशि में गोचर के दौरान सावधानी बरतें । आपकी जन्म कुण्डली में सूर्य की स्थिति के अनुसार सूर्य जिन भी कारक विषयों के स्वामी होंगे उनसे संबंधित फल खराब होंगे , विशेष कर पिता, सरकार , बड़े भाई , बड़े अधिकारियों की तरफ से परेशानी रहेगी  । ज्योतिष अनुसार सूर्य का गोचर जन्म कुण्डली के 3, 6, 10, 11वे भाव में शुभता देता है, जबकि 1, 4, 7, 8 और 12वे भाव में सूर्य का गोचर कष्टकारी होता है । 
 *मंगल_ग्रह_का_गोचर* : पूरे जनवरी महीने में मंगल का गोचर मेष राशि में रहेगा । *मेष मंगल की खुद की राशि है* और क्योंकि मेष राशि का तत्व अग्नि है इस कारण  अग्नि तत्व राशि में मंगल और उग्र हो जाता है, इस कारण मंगल की कारक विषय जैसे कि छुरी, तेजधार हथियार से चोट का भय रहेगा, दोस्तों या पड़ोसी से झगड़ा हो सकता है, आग और कैमिकल के कार्य करते समय सावधानी बरतें, लेकिन अगर यही मंगल का गोचर आपकी चन्द्र राशि अनुसार 2, 3, 6, 9, 10, 11वे भाव में है तो इसके फल बहुत सकारात्मक होंगे, ज़मीन से जुड़े विषयों में या फिर नोकरी कारोबार में मित्र या भाई के माध्यम से कुछ अच्छा हो सकता है, ज़मीन की खरीद बेच में अच्छा मुनाफा हो सकता है । लेकिन मंगल के इन सकारात्मक फल प्राप्ति के लिए आपकी जन्म कुण्डली में भी मंगल की स्थिति मित्र राशि में या अपनी या उच्च राशि में मंगल की स्थिति होनी चाहिए । जबकि 1, 4, 7, 8 और 12वे भाव में गोचर कष्टकारी होता है । जिनके लिए भी यह गोचर शुभ भाव में है वह अपने साथ लाल रुमाल रखें , किसी भी रूप में तांबा धारण करें ,  मंगलवार के दिन हनुमानजी की पूजा आराधना करें । 

 *बृहस्पति_देव गुरु अस्त  है:* वर्तमान समय में बृहस्पति का गोचर मकर राशि में है जो कि *19 जनवरी से अस्त होंगे और 16 फरवरी को उदय होंगे* । इस में महत्वपूर्ण बात यह है कि ब्रहस्पति ग्रह सफलता और लाभ प्राप्ति का कारक है , धार्मिक कार्यो का भी कारक है इस नाते यह सब कार्य 16 फरवरी तक स्थगित रहेंगे, दूर स्थान की यात्रा या रिश्ते जोड़ना भी शुभकारी नहीं रहेगा । किसी भी रूप में धन लगाने के कार्य बृहस्पति अस्त के समय ना करें । विशेष कर जिनके लग्न कुण्डली अनुसार बृहस्पति केंद्र या त्रिकोण भाव का स्वामी है वह पीले चने की दाल गुरुवार के दिन मंदिर में दें ।  *डॉ विकासदीप शर्मा* 9993462153
 *श्री मंशापूर्ण ज्योतिष शिबपुरी**

 *शनि देव _अस्त* : वर्तमान समय में शनि का गोचर मकर राशि में है जो कि *12 जनवरी से अस्त होंगे और 14 फरवरी को उदय होंगे ।* इस में महत्वपूर्ण बात यह है कि शनि ग्रह कार्य कुशलता, मेहनत, सेवक , अनुशासन के कारक हैं, शनि के अस्त होने से वृषभ और तुला लग्न वालों पर आलस्य रह सकता है क्योंकि शनि इनके लिए योगकारक ग्रह हैं, अन्य लग्न वालों को भी शनि की भाव स्वामी स्थिति अनुसार फल प्राप्ति में कमी आएगी, शनि को प्रजा यानी सहयोगियों के रूप में भी देखा जाता है, इस नाते प्रजा में सरकार प्रति क्रोध और बढ़ेगा, कार्यस्थल पर भी निम्न वर्ग के कर्मचारियों की वजह से अधिकारियों को समस्या आ सकती है, सामाजिक झगड़े बढ़ेंगे, सरकार के प्रति किसान और उग्र हो सकते हैं । सामान्य तौर पर इस समय अवधि में अफवाहों से दूर रहें, कोई बात सुन कर जल्दी ही क्रोध ना करें नहीं तो बेवजह समस्या बढ़ सकती है ।

 *पूर्णिमा_तिथि : 28 जनवरी दिन गुरुवार को पौष महीने की पूर्णिमा तिथि रहेगी* । पूर्णिमा तिथि के आराध्य देव नारायण जी हैं , इस लिए इस दिन ब्रहस्पति ग्रह की मज़बूती के लिए सत्य नारायण जी की कथा का आयोजन घर मे किया जाता है , जिनकी कुण्डली में बृहस्पति ग्रह कमज़ोर या पीड़ित या गुरु राहु की युति होती है उनको इस दिन व्रत करते हुए पीली चीज़ों का दान मंदिर में करना चाहिए । जिनकी जन्म कुण्डली में चंद्रमा और बृहस्पति कमजोर या पाप पीड़ित हों उनको इस दिन पूजा उपासना और दान करने चाहिए ।

 *अमावस्या_तिथि : 13 जनवरी दिन बुधवार को पौष महीने की अमावस्या तिथि रहेगी* । इस तिथि पर किये गए दान पुण्य पितरों को प्राप्त होते हैं, और मन्त्र जप पूजा उपासना से हमारे पितर प्रसन्न होते हैं । इस नाते जिनकी जन्म कुण्डली में पितर दोष हो, जिनकी जन्म कुण्डली में सूर्य चंद्र मंगल और बृहस्पति से संबंधित कुछ दोष हो उनको इस दिन जप तप पूजा उपासना दान पुण्य करने चाहिए । जिस से पितरों की कृपा से उनकी रुकी हुई तरक्की फिर से चल पड़ते हैं । 

 *डॉ विकासदीप शर्मा* 9993462153
 *श्री मंशापूर्ण ज्योतिष शिबपुरी**

शनिवार, 2 जनवरी 2021

शिवपुरी आज हो गयी 101 वर्ष की, क्या कहती है शिवपुरी की जन्म कुंडली

*19 01 1920 को जन्मी शिवपुरी  अब होने जा रही है 101 वर्ष की** 
कभी “शियापुरी”कभी “सीपरी”कभी शिवपुरी तो कभी कुछ और…..! जैसे-जैसे समय बदलता रहा वैसे- वैसे शिव की पावन नगरी शिवपुरी का नाम समय-समय पर परिवर्तित होता रहा।यदि मुगलों के समय में “सियापुरी” रहा तो किसी अन्य युग में “सीपरी” हो गया।लेकिन सिंधीया राजवंश ने वर्ष 5 अक्टूबर1919 को जारी किये *एक गजट नोटिफिकेशन के द्वारा यकुम जनवरी अर्थात 1 जनवरी 1920 से इस प्यारी सी नगरी का नाम” शिवपुरी “घोषित किया गया था* और तब से आज तक यह खूबसूरत नगरी 99 साल की हो गयी है।कुछ वर्षों पूर्व मिले गजट नोटिफिकेशन के दस्तावेजों में आधार पर इसकी खोज की गई और आज यह खूबसूरत नगरी अपने नाम के आधार पर 99 वसंत देख चुकी है ।समय दर समय कभी इस नगरी का उत्थान हुआ तो कभी विनाश के कगार पर भी रही किंतु यह बात भी सच है कि विकास से पहले विनाश भी एक अनवरत प्रक्रिया रही है सो अब फिर यह नगरी उन्माद की ओर अग्रसर है
 *प.डॉ विकास दीप शर्मा ज्योतिषचार्या श्री मंशापूर्ण पुजारी के अनुसार शिवपुरी का जन्म 1919 मे जारी* नोटिफिकेसन के अनुसार 01 जनबरी 1920 को सीपरी का पुराना नाम बदलकर नया नाम शिवपुरी रखा गया | जो बाद मे यहा का स्थायी नाम हो गया |
 नया साल, नई खुशियां, नए सपने, नए अरमान और नए संकल्प लेकर आता है। कैसा रहेगा वर्ष 2021 शिवपुरी के विकास के लिए , यह देखने के लिए हम निरंतर प्रयास मे रहते है | शिवपुरी की जन्म कुंडली मे उच्च का गुरु है ओर सूर्य की दशम भाव पर पूर्ण दृष्टि होने से   सिंधिया राजवंश की कृपा हमेशा शिवपुरी पर होने से यह शहर देश विदेशों तक अपने नाम की ख्याति प्राप्त किये हुए है ।  पराकर्म भाव के राहू शुक्र — बुध के साथ होने से यहा धर्म कार्यो से लाभ होगा |शुक्र बुध के प्रभाव से पर्यटक छेत्र से शिवपुरी का नाम देश में विख्यात है | शुक्र कला कारक है और बुध के प्रभाव से हरियाली और प्राकर्तिक सौंदर्य , विस्तार को बढावा देगा | धर्म नगरी भी कही जा सकती है | शिवपुरी की कुंडली में चतुर्थ भाव में सूर्य के प्रभाव से राजाओ का वर्चस्व रहेगा ओर राजाओ द्वारा ही विकास की धारा भी राजा के द्वारा हमेशा बनी रहेगी | एकादश भाव में उच्च का गुरु के प्रभाव शिवपुरी में धर्म छेत्र के विस्तार से ही शहर का विकास होगा | शिवपुरी को धर्म की पूरी भी कह सकते है | एकादश गुरु के प्रभाव से सज्जनों और श्रेष्ठ व्यक्तियों की संगति करने वाले व्यक्ति हैं। मेदिनी ज्योतिष अनुसार कुण्डली में  दशम भाव राजा का होता है  ओर चतुर्थ भाव प्रजा या जनता का एकादश भाव राज परिवार के मुखिया का माना गया है । गुरु इस भाव मे उच्च का होने से शिवपुरी के लिए सबसे बड़ी सौभाग्य की बात यह है कि यह शहर राजाओं की कृपा से ओर राज परिवार से जुड़ा होने से नवीन योजनाएं लाकर प्रजा को दी जाती रही है । प्रजा या जनता के हित में कार्य पूर्ण मेहनत और ईमानदारी के साथ , धर्मोचित कर्म किये जाते है । शिबपुरी के विकास के लिये राज्य से लेकर केंद्र तक सत्य के लिए लड़ाई लड़ना ओर विकास के लिए सदैव तैयार रहना । शिवपुरी विधायिका का सुचारू ओर व्यवस्थित नीतियों से , अनुभव एवं छमताओ से शहर की प्रगति होना यह उच्च गुरु और दशम सूर्य का शुभ परिणाम माना गया है ।
प.डॉ विकास दीप शर्मा ज्योतिषचार्या के अनुसार शिवपुरी को राजा या सरकार के द्वारा सम्मान और लाभ मिलेगा। श्रीमान और राज कुलीन लोगों से शहर की उन्नति होगी।राजा द्वारा शहर की आशाओं और महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने मे आपकी सहायता करेंगे। अच्छे गुणी लोगो की सलाह कार्य उत्तम और फायदेमंद रहेगी राजा द्वारा किए गए उत्तम कार्यों से समाज मे उनका नाम होगा और श्रेष्ठता भी बढेगी। अर्थलाभ और धन की प्राप्ति होगी। शिवपुरी एक धन धान्य से पूर्ण भाग्यवान शहर हैं। आमदनी के कई श्रोत बनेंगे | जनता कारक चतुर्थ भाव का स्वामी चन्द्र केतु के साथ होने से जनता का मन पल पल बदलता रहेगा | शिवपुरी की कुंडली में लग गत मंगल के प्रभाव से शहर के आकर्षण में कुछ कमी आ जाती है । पराक्रम की बृद्धि होती है, मगर भौतिक सुखों का अभाव बना रहता| बुध राहु का प्रभाव व्यवसाय के छेत्र में भी कठिनाइयां आती हैं शहर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में संघर्षों का मुकाबला करता हुआ बढ़ता है ।

शिवपुरी  की कुंडली में प्रारंभ हो गई है बुध की महादशा ( उन्नति और विकास के अवसर प्राप्त होंगे )* 
 शिवपुरी की लगन का मालिक बुध महत्पूर्ण ग्रह की महादशा समाजिक , आर्थिक और प्रजा सुख इत्यादि घटनाओं की ओर संकेत देता है । कन्या लग्न ओर मंगल का लग्नगत प्रभाव प्रजा को दुखी बनाता है । रोजगार की समस्या , स्वास्थ्य सुविधा की कमी, चोरी, जमीनी विवाद, अग्निकांड , गैर कानूनी धंधे उपरोक्त समस्याओं से ग्रसित रही शिबपुरी का बुध की महादशा में अलौकिक परिवर्तन देखने मिलेगा । 

 *19 10 2019 से 17 वर्ष के लिए शिबपुरी  की कुंडली में बुध की महादशा लगने से शहर के विकास के लिए विशेष अवसर प्राप्त होंगे,*   उपरोक्त आंकलन ग्रहो की स्थिति अनुसार एक प्रयास है शिवपुरी की कुंडली में बुध ग्रह लग्न और कर्म स्थान का स्वामी है ,उसी के साथ पराक्रम भाव में होने से अब शिबपुरी की दशा बदलने जा रही है  पर्यटन के छेत्र में होगा विकास ,2000  से  2019 तक शिबपुरी कुण्डली में  शनि की महादशा होने से विकास कार्यों में और उन्नति में बाधक बनी रही ।  अब बुध की महादशा में शहर में शिक्षा ,वकालात, पर्यटक , शेयर ब्रोकर, बैंकिंग क्षेत्र में यहां से जुड़े लोगों को अधिक लाभ प्राप्त होगा । 2019 से 2036 तक  17 वर्ष  व्यापारिक और कला के क्षेत्र में शहर में विशेष अवसर प्राप्त होंगे , स्वनिर्मित कला के क्षेत्र में भी जनता को लाभ योग बनेंगे , स्वर्ण एवं धातु के  व्यापार में भी लाभ होगा ।  समाज से जुड़े विशेष व्यक्तित्व को सम्मान भी प्राप्त होगा । बुध की महादशा में शिक्षा के स्तर में पूर्ण सुधार होकर नवीन योजनाएं बनेंगी । इसी के साथ स्वास्थ्य विभाग में भी परिवर्तन और उन्नति के अवसर देखने को मिलेंगे । बुध  वाणिज्य का कारक होने से शासन को राजस्व से धन लाभ प्राप्त होगा । उत्पादन के छेत्र में नए अवसर, धर्म कार्यो में वृद्धि, लोक कल्याण और जन कल्याण से जुड़े कार्य होंगे, । औषधियों , जड़ी बूटी इत्यदि का संग्रह ओर उनका सदुपयोग किया जाएगा, संचार की सुविधा बढ़ेगी । प्राचीन सिद्ध स्थानों का पुनर्निर्माण होगा। शुक्र का तृतीय भाव मे होने से  सौन्दर्यकरण में  विकास , रेलवे छेत्र में नए निर्माण के साथ सुख सुविधा का  विस्तार होगा, लेखन और प्रकाशन इत्यदि में भी सुधार और  विस्तार रहेगा ।।
*गुरु शनि का योग देगा न्याय, धर्म कार्य, ओर दंडात्मक कार्यवाही* 
शिवपुरी की कुण्डली में उच्च गुरु प्रायः प्रजा हित में कार्य होंगे, वाणिज्य  व्यापार, कृषि के छेत्र में सुधार, मंडी उत्पादन छेत्र में लाभ होगा, शिक्षा की नीतियो में बदलाव, ओर धर्म कानून सख्त होकर अपनी कार्यवाही करेगा ।
*शनि का द्वादश भाव मे होने से* अस्पतला, आश्रम, कारागृह में सुधार, धर्मिक छेत्र में नियम बदलेंगे, अपराध एवं अपराधी , कर छेत्र, मादक छेत्र पर होगी कार्यवाही, नए कानून और नियम बदल जाएंगे, शनि का स्वराशि में होना बड़े बदलाव, परिवर्तनों का समय कहलायेगा, प्रबंधकों  पर होगी सक्ति से कार्यवाही, गलत कार्य करने वाले जायँगे जेल, अपराध पर लगेगा अंकुश, साथ ही शासन को कर न देने वालो को आयेगी अब समस्या,  धर्म के विपरित आचरण करने वालो को देखना पड़ेगा अपमान, शनि गुरु का योग  देगा न्याय  ओर परिवर्तन ।

*29 09 2020 से राहु केतु का परिवर्तन 11 माह में  शहर को मिलेगी पानी समस्या से निजात* 
नवम भाव धार्मिक कार्य, न्यास, जल परिवहन का है । शिवपुरी कुण्डली में नवम भाव मे केतु के होने से पानी की समस्या बनी रहती है । न्याय पालिका का अड़ियल ओर जिद्दीपन स्वभाव इस योजना में प्रजा को संकट और समस्या देता है ।सरकारी उपक्रम उपभोक्ता की अनदेखी करते है । राहु केतु का राशि परिवर्तन 29 09 2020 से 11 माह में शहर को पानी की समस्या से मिलेगी निजात  ।

*अष्टम चन्द्र्मा के प्रभाव से होती है आकस्मिक मृत्यु* 
मेदिनी ज्योतिष के अनुसार अष्टम भाव प्राण  घातक , मृत्यु ओर  विपदाओं का है ,  शिबपुरी की जन्म कुंडली मे चंद्रमा पाप प्रभाव में होने से मृत्यु दर बीमारी से अधिक रहती है । संकट की आशंका  ओर भागदौड़ अव्यवस्था के कारण अनेक व्यक्ति प्राण गंवा चुके है ।

*30 दिसंबर 2020 से 19 फरवरी 2021 तक बुध में बुध में मंगल अंतर्दशा रहेगी*  मंगल देगा हिंसाजनित घटना  इस समय काल मे  कोई बड़ा महत्वपूर्ण कार्य पूर्ण होगा जो यादगार रहेगा इच्छा अनुसार सफलता के कार्य बड़े-बड़े निर्माण जो शक्ति पूर्ण संपूर्ण होंगे । शिबपुरी कुण्डली में मंगल का लग्न का प्रभाव प्रशासन शक्ति पूर्ण ,  सजग एवं सक्रिय रहेगा । जमीन-  संपत्ति के बड़े बड़े मुद्दे सामने आएंगे, जनता के  क्रोध  के कारण अनावश्यक वाद-विवाद सामने आएंगे। डॉ विकासदीप शर्मा के अनुसार किसी विशेष व्यक्तित्व को शहर का नेतृत्व करने का अवसर प्राप्त होगा  जिसमे सामाजिक लोगों की  महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी । इस समय काल में दुर्घटनाओं के योग , वाद विवाद झगड़ा एवं अग्नि से जुड़ा कोई महत्वपूर्ण घटना सामने आएगी।  मंगल ग्रह को  खेल एवं तकनीकी क्षेत्र में विशेष लाभप्रद माना गया है शिवपुरी के लिए इस समय काल में खेल , स्पोर्ट्स के क्षेत्र में कोई विशेष उपलब्धि प्राप्त होगी । इसी के साथ शिवपुरी के लिए भूमि,  अग्नि मशीनरी , मेडिकल ,पत्थर एवं तकनीकी क्षेत्र में विशेष लाभ योग बनेगा । मंगल की अंतर्दशा में रोग से  मृत्यु की दर बढ़ सकती है  अभी महामारी का प्रकोप ओर भी  बढ़ेगा । शासन के खिलाफ  विरोधी प्रदर्शन हड़ताल आंदोलन इत्यादि करते रहेंगे किसी महिला पर अत्याचार की घटना शहर में तनाव का माहौल झगड़ा ,  इत्यादि आ सकते हैं।  प्रॉपर्टी से संबंधित बड़े विवादित मामले भी उजागर होंगे । मंगल को वैवाहिक कारक होने से दाम्पत्य झगड़े तलाक इत्यादि केस में भी वृद्धि रहेगी हिंसा लूटपाट चोरी इत्यादि के संकेत भी मिलते हैं