बुधवार, 20 मई 2020

वट सावित्री पूजा कब और कैसे करे

वट सावित्री पूजा 22 मई 2020 शुक्रवार

पौराणिक मान्यताओं की मानें तो सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे ही अपने मृत पति सत्यवान को जीवित किया था। इसलिए इस व्रत का नाम वट सावित्री पड़ा।
वट सावित्री वट वृक्ष पर सुहागिनें जल चढ़ा कर कुमकुम, अक्षत लगाती हैं और पेड़ की शाखा में चारों तरफ से रोली बांधती हैं


पौराणिक कथाओं में कई जगह इस बात का जिक्र किया गया है कि महिलाओं द्वारा अपनी पति की लंबी आयु के लिए रखे गए व्रतों में बहुत शक्ति होती है। वट सावित्री का व्रत भी महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि के लिए करती हैं।

वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को रखा जाता है, जो इस बार 22 मई को है। इस व्रत में वट वृक्ष यानि कि बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। वट वृक्ष पर सुहागिनें जल चढ़ा कर कुमकुम, अक्षत लगाती हैं और पेड़ की शाखा में चारों तरफ से रोली बांधती हैं। पूरे विधि विधान से पूजा करने के बाद सती सावित्री की कथा सुनती हैं। कहा जाता है कि इस कथा को सुनने से सौभाग्यवती महिलाओं को अखंड सौभाग्य की की प्राप्ति होती है।

शनिवार, 16 मई 2020

हर काम को वक़्त तय करता है

हम जीवन मे केवल कर्म को मजबूत रखे क्योंकि जो भी हमको मिलता है वो हमारे भाग्य से मिलता है । उसके साथ सबसे बड़ी चीज है वक़्त क्योंकि इन सभी के साथ जो महत्वपूर्ण होता है वो वक़्त ही होता है । वक़्त हमे बहुत कुछ सिखाता है । जीवन में कोई ऐसा गुरु नही ओर कोई ऐसा विद्यालय नही जो वक़्त जैसा हो । दुनिया की सबसे बड़ी पाठशाला वक़्त है । इसी अच्छे और बुरे वक्त में हमको  सब कुछ सीखने का अनुभव आता है ।व्यक्ति अपने जीवन में बहुत कुछ सोचता है । पर होता वही है जो वक़्त कराता है । इसीलिए अनुभवी लोगो ने भी यही कहा है कि एहसान मान इस वक़्त का जिस वक्त ने तुझे आज यहां तक पहुँचा दिया । हमे जीवम में एक गुरु अवश्य बनाना चाइये । लेकिन जिनको गुरु प्राप्त नही होते उनका वक़्त उनका अपना गुरु होता है   जय माई  की , जय गुरूदेव  Dr vikas deep sharma



सकारात्मक विचार ही सफलता

जीवन मे सुख दुख का जोड़ा है । यदि आज आप सुख मय है तो जीवन मे आपको दुख भी झेलना पड़ेगा । लेकिन हर परिस्थिति में एक बात मान कर हम चले तो शायद सुख में सुख तो रहेगा ही लेकिन दुःख में भी सुख का अनुभव आ जायेगा । इन सब के पीछे जुड़े होते है हमारे विचार जो हमे महसूस कराते है कि हम दुखी है या सुखी । हमारा नजरिया ही हमको सुख और दुःख दौनो देता है । क्योंकि जो चीज हम पा नही पाते उसको हम अपना दुख मानने लगे जाते है । और जो चीज हमारे पास में ही होती है उसको हम देखना ही नही चाहते जिसमे सुख छिपा बैठा होता है । बस नजरिया देखने का है । इसीलिए जो प्राप्त है वही पर्याप्त है और यही सकारात्मक विचार ही हमको सुख की अनुभूति प्रदान करने लगते है । जब कोई वस्तु को या किसी व्यक्ति को जब हम खो देते है । उस समय उसके महत्व को याद करके हम उसके होने का सुख याद करके दुःख महसूस करते है । जबकि उसके पास रहने पर उसके सुख को कभी महसूस नही करते  । इसीलिये एक सकारात्मक विचार से जब देखोगे तो हर सुख में सुख और दुख में भी एक सुख छिपा हुआ है ।। जय माई जय गुरुदेव डॉ विकास दीप शर्मा 

लेबल:

जीवन का अनुभव

जीवन के हर मोड़ पर एक नई दिशा मिलती है बस देखने का नजरिया आना चाइये
कब किस वक़्त जीवन मे ऐसा दौर आ जाता है जो व्यक्ति को एक नया मुकाम दे जाता है ।
हमे हर उस इंसान से कुछ न कुछ सीखने जरूर मिलता है जो हमारे जीवम में हमारे संपर्क  में आता है  जय माई जय गुरुदेव dr. Vikas deep 

ईक्षाओ का अंत नही

जीवन में हम एक बात को हमेशा याद रखे कि ब्रमांड अनंत है और इसकी शक्तियां भी अनंत हैं । हर व्यक्ति को उसकी ऊर्जा के आधार पर सब कुछ प्राप्त होता है । लेकिन उसके बाद भी वो कभी  मनुषय जन्म से पूर्ण होकर नही जा सकता । क्योंकि अनंत को पाना बहुत ही कठिन कार्य है । इस कार्य मे सबसे बड़ी बाधा हमारी इक्षायें होती है । मन का कारक चंदमा है जिसके  27 नक्षत्र ही उसकी पत्नियां है । इसी प्रकार मन  को रोकना या कंट्रोल करना ही असीमित शक्ति को पा लेना है ।  कभी एक गाना सुना करता हूं । जिसमें कवि में बड़ी सुंदरता से मन की बात कही है । गाने के बोल है तोरा मन दर्पण कहलाये । मन ही देवता मन ही ईश्वर मन से बड़ा न कोई ।।  मन कब शांत होगा जब हम इक्षाओं से पूर्ण हो पाए लेकिन इक्षायें ऐसी है जो कभी पूरी नही होती । हर व्यक्ति अपने से ऊपर वाले को देखकर एक प्रतिस्पर्धा में लगा हुआ है । अरे कभी सोचना जिस चन्द्र्मा को भगवान शंकर ने अपने शिरोधार्य किया है वो इतना सरल तो नही हो सकता कुछ तो विशेष है । यहां शिव जी ने संकेत दिया है कि अगर मन को कंट्रोल नही किया तो सिर चढ़कर बोलने लगता है  । इसीलिए सबसे पहले अपनी ईक्षाओ को सीमित करो । में यह नही कहूँगा की आप  अपनी ईक्षाओ को दबा लो  । लेकिन मन अगर आपका  क़ाबू होकर  चलेगा तो वो सभी इक्षाये भी पूर्ण हो सकेगी जो आप अपने मनोबल से ओर अपनी मन की गति से चाहोगें तो ज़रूर प्राप्ति कर सकेगी । फिर चाहें वो भौतिक हो या आध्यात्मिक , सारा खेल मन से जुड़ा हैं । जय मॉइ की जय गुरुदेब Dr. Vikas deep sharma shri manshapoorn jyotish