रविवार, 23 जून 2019

मंगल देव का 22 जून 2019 को राशि परिवर्तन

*मंगल का हुआ कर्क राशि में गौचर कैसा होगा ।*
मंगल राहु युति 22 जून को समाप्त हो गयी ।।
मंगल देव ने किया चंद्र की राशि ओर अपनी नीच ग्रह कर्क राशि में प्रवेश ।।
सौर मंडल में मंगल ग्रह को बेहद महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। कहा जाता है कि मंगल ग्रह धरती और उसके जीवों को कई सारी आपदाओं से बचाने में मदद करता है। जैसे मंगल ग्रह धरती को शनि, राहु और केतु के बुरे प्रभाव से भी बचाता है। इसके साथ ही माना गया है कि मंगल ग्रह के कारण ही नीले समुद्र में मूँगे का जन्म होता है और यही विशेष कारण है कि प्रकृति में लाल रंग की उत्पत्ति हुई है।

ज्योतिष शास्त्रों में मंगल ग्रह को बेहद क्रूर ग्रह माना गया है। मंगल ग्रह को अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व प्राप्त है, इसलिए इसे अंगारे जैसा रक्त वर्ण भौम यानि भूमि पुत्र का दर्जा भी दिया गया है। लेकिन ये केवल अशुभ हो, ये आवश्यक नहीं। हर कुंडली के लिए मंगल अच्छा और बुरा दोनों तरह का फल देने में सक्षम है। वहीं अगर लाल किताब की मानें तो उसमें मंगल ग्रह को नेक और मंगल को शुभ और कभी-कभी अशुभ फल देने वाला ग्रह अलग-अलग रूप में माना गया है जिसके चलते ही जातक को मंगल ग्रह के फल और अन्य सभी बातों को अलग-अलग बताया गया है। लाल किताब के अनुसार कुंडली में मंगल के दोषपूर्ण या खराब होने की स्थिति के बारे में भी विस्तार से बताया गया है। जिसके निवारण हेतु आपको इससे उपाय भी सुझाए गए हैं।

मंगल देव को युद्ध के देवता की उपाधि भी दी गयी है, जिन्हें शारीरिक ऊर्जा, आत्मविश्वास, अहंकार, क्रोध, वीरता और साहस जैसे गुणों का प्रतिनिधित्व भी प्राप्त है। इसी कारण जिस भी जातक की कुंडली में मंगल कमज़ोर होता है तो ये देखा गया है कि इसके दुष्प्रभाव से व्यक्ति को रक्त संबंधी समस्याएं, फोड़े, फुंसी, दुर्घटनाएँ आदि से जुड़ी कोई परेशानी रहती है और वह जातक आमतौर से थोड़ा डरपोक प्रवृत्ति का होता है।  कुंडली मे  मंगल कमज़ोर या दुर्बल होने के पीछे क्या कारण होते हैं:-

भगवान हनुमान या श्री राम जी का मज़ाक उड़ाने या उनका अपमान करने से जातक का मंगल दुर्बल हो जाता है।अपने धर्म धर्म का पालन नहीं करने से भी जातक का मंगल खराब हो जाता है। घर या कार्य स्थल का पश्‍चिम कोण यदि अशुद्ध हो तो जातक का मंगल भी खराब होगा।अपने सगे भाई या किसी मित्र या क़रीबी को दुश्मन बनाने से इसका बुरा असर आपके मंगल के ऊपर पड़ता है।निरंतर क्रोध करते रहने से मंगल ग्रह का कुंडली पर नकारात्मक प्रभाव दिखता है।किसी भी कुंडली के चौथे और आठवें भाव में मंगल का होना बेहद अशुभ माना गया है।किसी भी भाव में मंगल अकेला हो तो वो एक पिंजरे में बंद शेर की भाँति हो जाता है।सूर्य और शनि के साथ मिलकर मंगल अशुभ बन जाते हैं।मंगल के साथ केतु हो तो उसका बेहद अशुभ फल जातक को भुगतना पड़ता है। मंगल के साथ शत्रु ग्रह बुध का होना अशुभ फलों की प्राप्ति कराता है।

हर राशि के लिए मंगल का प्रभाव बेहद महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि इसके किसी कुंडली में बली या मजबूत होने पर जहाँ ये जातक को अच्छे फल देता है। वहीं कुंडली में मंगल के खराब होने पर जातक को कई गंभीर बीमारी या समस्या होने का खतरा सदैव बना रहता है। मंगल के खराब होने से जातक को किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है: पं विकासदीप शर्मा श्री मंशापूर्ण ज्योतिष शिवपुरी 9426137382

मंगल ग्रह को हौसले, बल शक्ति और लड़ाई का प्रतीक बताया गया है। इसलिए यदि व्यक्ति डरपोक है तो उसका मतलब उसका मंगल खराब है।जिस भी जातक का मंगल खराब या कमज़ोर होता है तो उस जातक के बड़े भाई पर उसका अशुभ फल पड़ता है। मंगल के खराब होने पर जातक को संतान सुख की प्राप्ति होने में अड़चनें आती हैं। मंगल खराब होने पर व्यक्ति हर समय झगड़ता रहता है। मंगल के अशुभ प्रभाव के चलते व्यक्ति को जेल या कोर्ट -कचहरी के चक्कर लगाने पड़ते हैं।

*गोचर काल का समय*

अब यही पराक्रम और साहस का कारक लाल ग्रह मंगल 22 जून 2019, शनिवार को मिथुन राशि से कर्क राशि में गोचर करने जा रहा है। मंगल का ये गोचर रात्रि 23:21 बजे कर्क राशि में होगा, जिसके बाद मंगल 9 अगस्त 2019 की सुबह 04:32 बजे तक इसी राशि में स्थित रहेगा।

*मंगल गोचर का शेयर बाज़ार पर प्रभाव*
मंगल ताँबा, सोना, लोहा एवं अन्य धातुएं, मशीनरी, चौपाये, गुड़, धनिया, हल्दी, गन्ना, मुनक्का, किशमिश, लौंग, सुपारी, किराना, लाल मिर्च, चाय, शराब, छुहारा, मसूर, मोठ तथा गेहूं को नियंत्रित करता है। इसके अतिरिक्त मंगल को बिजली अर्थात ऊर्जा का स्वामित्व प्राप्त होता है इसलिए अपनी नीच राशि कर्क में गोचर करने के कारण इन वस्तुओं के दामों में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिल सकता है।

*मंगल का राजनीति पर प्रभाव*

हाल ही में आए लोकसभा चुनाव 2019 के परिणामों में जिस प्रकार बीजेपी को पीएम मोदी की अच्छी छवि का फायदा मिला। दरअसल उसके पीछे का कारण भी उनकी कुंडली में मंगल देव द्वारा रूचक योग बनाकर उन्हें अधिक शक्तिशाली बनाना शामिल है। उनकी कुंडली में मंगल की शुभ स्थिति में होना और नवम भाव में हो रहा ये गोचर उनके लिए बेहद अच्छा माना जा रहा है। इस गोचर के दौरान मोदी जी को और सफलताएँ एवं वाह-वाही मिलेगी।

*मंगल के गोचर से देश पर पड़ेगा ऐसा असर*

इसके अलावा 22 जून को जिस प्रकार मंगल अपनी नीच राशि कर्क में गोचर कर रहा है। उसी प्रकार 21 जून को मंगल के शत्रु ग्रह बुध का भी कर्क राशि में ही गोचर हुआ, जिसके चलते भारत के अपने पड़ोसी देशों से संबंध बिगड़ने या उसमें खटास आने की संभावना दिखाई दे रही है। ऐसे में इस गोचर के चलते देश भर के नेतों की जुबान खराब हो सकती है जिसके चलते आपको बीच-बीच में नेताओं से अपशब्द या जुबानी जंग सुनने को मिलती रहेगी। जिससे देश की छवि अंतराष्ट्रीय स्तर पर खराब हो सकती है।

रविवार, 16 जून 2019

12 राशि और शहर का क्या संबंध

12 राशियों से स्थान क्षेत्र और देश की जानकारी* 

*मेष राशि*

 *स्थान परिचय ....पहाड़, जंगल ,खान, पहाड़ी मैदान, रेतीला क्षेत्र, छुपने का स्थान, चरागाह, रत्न -खनिज पदार्थों की खान ,सेन्य गोदाम( शस्त्रागार )बंजर भूमि, पूर्व दिशा* 

*देश..इंग्लैंड, यूके, डेनमार्क( उत्तर-पश्चिमी यूरोप ),जर्मनी (जीडीआर),पश्चिमी पोलैंड( सेंट्रल यूरोप),पैलेसटाइन( इजरायल),सीरिया (दक्षिण पश्चिम एशिया), जापान( पूर्व एशिया ),लेबनान (पश्चिम एशिया)* 


*शहर..मर्सिलेस (फ्रांस),नेपल्स( इटली), फ्लोरेंस (इटली ),बरसिंघम( इंग्लैंड),वेरोना (इटली )लेंकास्टर( इंग्लैंड),क्रेको (पोलैंड )सारा गुस्सा( स्पेन) उटरिच (होलेंड) आदि*

 *भारत....तमिलनाडु, चेन्नई*



 *वृषभ राशि*

  *स्थान परिचय....जंगल, वह जगह जहां हाथी रहते हैं, खेतीवाड़ी की जगह, जंगली जानवरों का पहाड़ी क्षेत्र, वह स्थान जहां किसान रहते हैं, चावलों के खेत उपजाऊ भूमि .  .पूरब दिशा*


 *देश.....व्हाइट एशिया( यू एस एस आर),दक्षिण एशिया*, *पर्शिया( ईरान),आयरलैंड (पश्चिमी यूरोप),साइप्रस( मेडिटरेनियन समुद्र),एशिया माइनर, पोलैंड (सेंट्रल यूरोप ),जजिया( रिपब्लिक ऑफ* *यूएसएसआर),स्वीटजरलैंड( यूरोप)*,
*नीदरलैंड (पश्चिमी यूरोप),कॉसासस पर्वत (यूएसएसआर)*


*शहर.....Saint Louis अफ्रीका, मंटुआ इटली, रोडेशिया टर्की के पास, लूसर्ने स्वीटजरलैंड*..


*भारत ...मथुरा, यमुना अयोध्या*...


 *मिथुन राशि*

 *स्थान परिचय....खेल के मैदान, पहाड़ियां ,पहाड़, खुले मैदान, हवाई अड्डा ,संचार विभाग ,कलाकारों का स्थान ,वेश्या, जुआ घर, विद्या प्राप्ति का स्थान, अग्नि कोण*....


*देश.....अमेरिका यू एस ए ,पश्चिमी इंग्लैंड, बेल्जियम पश्चिमी यूरोप, आर्मीनिया यूएसएसआर ,लोअर इजिप्ट, त्रिपोली लेबनान ,उत्तरी पूर्वी अफ्रीका का तट, सर्दिनिया इटली, बेल्ज ग्रेट ब्रिटेन, कनाडा उत्तर अमेरिका*....


*शहर....वरसेल्स फ्रांस, नर्नमवर्ग बवाना, मेलबॉर्न ऑस्ट्रेलिया, लंदन यूके, सैन फ्रांसिस्को इंग्लैंड, केलिफोर्निया यूएसए, ब्रूजेज बेल्जियम* 


*भारत...हस्तिनापुर, कपूरथला ,पंजाब, जलगांव*.... 



*कर्क राशि*


 *स्थान परिचय* 

*समुद्र तटीय क्षेत्र, जलीय स्थान ,नदी, नहर ,झाड़ी वाले स्थान, पवित्र स्थान, तीर्थ स्थान, सुंदर स्थान ,झील ,सागर, कुआं, झरने ,जल के खेत(जहां धान, सिंगाड़े  आदि उपजाय जाते हैं),तालाब, वृक्ष ,नमी वाला क्षेत्र (जहां झाड़ झंकार उगा हो ),झाड़ियां, कार पार्किंग ,सिंक( हाथ धोने वाला टब), मछली पालन आदि....दक्षिण दिशा*

*देश... स्कॉटलैंड ग्रेट   Britain, आयरलैंड नीदरलैंड, मोरेशश हिंद महासागर ,उत्तर पश्चिम अफ्रीका, न्यूजीलैंड ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर ,पैराग्वे दक्षिण अमेरिका और चीन* 


*शहर ....न्यूयॉर्क यूएसए,वेनिस इटली, स्टॉकहोम स्वीडन, मैनचेस्टर इंग्लैंड, एम्स्टर्डम हॉलैंड, अल्जीरिया उत्तर पश्चिम अफ्रीका, मिलन इटली, कॉन्स्टेबल टर्की, ट्यूनिस उत्तरी अमेरिका, जेनेवा स्वीटजरलैंड, जॉर्जिया यूएसएसआर* ....


*भारत...कोलकाता हैदराबाद*



 *सिंह राशि*...

*स्थान परिचय ....पहाड़ ,पहाड़ियों वाला क्षेत्र ,पहाड़ियां, किले, जंगल, भंडार जहां रसायन आदि का संग्रह किया जाए, घने जंगल, गहरी पहाड़ियां जहां जंगली पशु घूमते हो, होटल ,सिनेमा हॉल ,नाट्यशाला, शिकार खेलने का क्षेत्र ,संग्रहालय, सरकारी भवन....  दक्षिण दिशा*


*देश...इटली दक्षिणी यूरोप, फ्रांस पश्चिमी यूरोप ,रोमानिया पूर्वी यूरोप, सिसली इटली ,टाइपरे सूर ,लेबनान पश्चिम एशिया*... 


*शहर ....रोम इटली, पेंसिलवेनिया यूएसए, Czechoslovakia, पोर्ट्माउथ इंग्लैंड ,शिकागो यूएसए*....


*भारत ....मुंबई विंध्याचल उड़ीसा कलिंग*... 



 *कन्या राशि* 


*स्थान परिचय ....बाग, ड्राई और नम भूमि, मक्का की फसल ,खेत, गोदाम, पुस्तकालय ,डेयरी, फल सब्जी का भंडार ,सेवक का निवास, औषधि भंडार ,पंसारी की दुकान, भंडार, वेयरहाउस ,अनाज के खेत, शिक्षा संस्थान, अस्पताल, स्वास्थ्य विभाग,,कारखाना ,,वेश्याओं का अड्डा....नैऋत्य कौण*


*देश...टर्की पश्चिम एरिया ,स्वीटजरलैंड यूरोप, वेस्टइंडीज सेंट्रल अमेरिका, ब्राजील दक्षिण मेक्सिको ,ग्रीक दक्षिण पूर्वी यूरोप, मेसोपोटामिया, केलिफोर्निया यूएसए ,वर्जिनिया यूएसए, एस्सीयंट स्कॉटलैंड में झील* 


*शहर ...पेरिस फ्रांस, जेरूसलम इजरायल, लॉस एंजिल्स केलिफोर्निया यूएसए ,मैडिसन यूएसए,  स्ट्रेसवर्क वर्जीनिया ,लियोन फ्रांस ,पाकिस्तान, बगदाद ,तिब्बत का कुछ भाग* ...


*भारत ...संपूर्ण भारत ,कन्या भारत की भी राशि मानी गई है ,पूना और नागपुर*

मंगलवार, 11 जून 2019

सूर्य को जल अर्पण क्यों

उगते सूर्य को जल क्यों देते हैं ?
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उगते हुए सूर्य को जल देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। बहुत से लोग आज भी इसका पालन करते हैं इसके पीछे धार्मिक मान्यता हीं नहीं बल्कि वैज्ञानिक आधार भी है। धार्मिक दृष्टि से बात करें तो बिना सूर्य को जल अर्पित किये भोजन करना महा पाप है। इस बात का उल्लेख 'स्कंद पुराण' में मिलता है।

स्कंद पुराण में इस बात का उल्लेख संभवतः इसलिए किया गया है क्योंकि सूर्य और चन्द्र प्रत्यक्ष देवता हैं। इनकी किरणों से प्रकृति में संतुलन बना रहता है। इन्हीं के कारण अनाज और फल-फूल उत्पन्न होते हैं। इसलिए इनका आभार व्यक्त करने के लिए प्रातः काल जल अर्पित करने की बात कही गयी है।

धार्मिक कारण की अपेक्षा उगते सूर्य को जल देने के पीछे वैज्ञानिक कारण अधिक प्रभावी है। जल चिकित्सा और आयुर्वेद के अनुसार प्रातः कालीन सूर्य को सिर के ऊपर पानी का बर्तन ले जाकर जल अर्पित करना चाहिए। जल अर्पित करते समय अपनी दृष्टि जलधार के बीच में रखें ताकि जल से छनकर सूर्य की किरणें दोनों आंखों के मध्य में आज्ञाचक्र पर पड़े। इससे आंखों की रोशनी और बौद्घिक क्षमता बढ़ती है जल से छनकर सूर्य की किरणें जब शरीर पर पड़ती हैं तो शरीर में उर्जा का संचार होता है। शरीर में रोग से लड़ने की शक्ति बढ़ती है साथ ही आस-पास सकारात्मक उर्जा का संचार होता है जो जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।

आधुनिक विज्ञान. . . जब हम सूर्य को जल चढ़ाते हैं और पानी की धारा के बीच उगते सूरज को देखते हैं तो नेत्र ज्योति बढ़ती है, पानी के बीच से होकर आने वाली सूर्य की किरणों जब शरीर पर पड़ती हैं तो इसकी किरणों के रंगों का भी हमारे शरीर पर प्रभाव पड़ता है। जिससे विटामिन डी जैसे कई गुण भी मौजूद होते हैं. इसलिए कहा गया है कि जो उगते सूर्य को जल चढ़ाता है उसमें सूर्य जैसा तेज आता है।

ज्योतिषशास्त्र में कहा जाता है कि कुण्डली में सूर्य कमज़ोर स्थिति में होने पर उगते सूर्य को जल देना चाहिए। सूर्य के मजबूत होने से शरीर स्वस्थ और उर्जावान रहता है। इससे सफलता के रास्ते में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।

ज़रा गौर करें, हमारी परम्पराओं के पीछे कितना गहन विज्ञान छिपा हुआ है. . . ये इस देश का दुर्भाग्य है कि हमारी परम्पराओं को समझने के लिए जिस विज्ञान की आवश्यकता है वो हमें पढ़ाया नहीं जाता और विज्ञान के नाम पर जो हमें पढ़ाया जा रहा है उस से हम अपनी परम्पराओं को समझ नहीं सकते।

इस पोस्ट को जरूर शेयर करे ताकि सबको सूर्य को जल देने का वैज्ञानिक महत्व पता चले।
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सोमवार, 10 जून 2019

पर्यावरण और वार

सातो वारो का विवरण
*रविवार--लाल कनेर,मूलठी,ईलायची, केसर,लालपुष्प,अर्क,बिल्व
*सोमवार--चंदन का पेड,पलाश,ढाक,खिरनी
*मंगलवार--लाल चंदन,निम,बिल्व,लालपुष्प गुलाब ,खदिर,अनंतमूल
*बुधवार--मेंहदी,अपामार्ग,विधारा
*गुरूवार--केला,सरसो,पिपल,भ्रृंगराज
*शुक्रवार-गूलर,मंजिष्ठ,उदूम्बर
*शनिवार-शमि,केक्टस,
*विश्व पर्यावरण दिवस* जन्मतिथी के अनुसार पेड लगाकर शुभफल प्राप्त कर सकते है ।

राहु का प्रभाव

*जन्म कुंडली मे राहु का खराब होना-*

*जब कुन्डली में राहु खराब होता है,तो दिमागी तकलीफ़ें बढ जाती है,बिना किसी कारण के दिमाग में पता नही कितनी टेन्सन पैदा हो जाती है,बिना किसी कारण के सामने वाले पर शक किया जाने लगता है,और जो अपने होते हैं वे पराये हो जाते है,और जो पराये और घर को बिगाडने वाले होते है,उन पर जानबूझ कर विश्वास किया जाता है,घर के मुखिया का राहु खराब होता है,तो पूरा घर ही बेकार सा हो जाता है,संतान अपने कारणो से आत्महत्या तक कर लेती है,पुत्र या पुत्र वधू का स्वभाव खराब हो जाता है,वह अपने शंकित दिमाग से किसी भी परिवार वाले पर विश्वास नही कर पाती है,घर के अन्दर साले की पत्नी,पुत्रवधू, मामी,भानजे की पत्नी,और नौकरानी इन सबकी उपाधि राहु से दी जाती है,कारण केतु का सप्तम राहु होता है,और राहु के खराब होने की स्थिति में इन सब पर असर पडना चालू हो जाता है,राहु के समय में इन लोगों का प्रवेश घर के अन्दर हो जाता है,और यह लोग ही घर और परिवार में फ़ूट डालना इधर की बात को उधर करना चालू कर देते है,साले की पत्नी घर में आकर पत्नी को परिवार के प्रति उल्टा सीधा भरना चालू कर देती है,और पत्नी का मिजाज गर्म होना चालू हो जाता है,वह अपने सामने वाले सदस्यों को अपनी गतिविधियों से परेशान करना चालू कर देती है,उसके दिमाग में राहु का असर बढना चालू हो जाता है,और राहु का असर एक शराब के नशे के बराबर होता है,वह समय पर उतरता ही नही है,केवल अपनी ही झोंक में आगे से आगे चला जाता है,उसे सोचने का मौका ही नही मिलता है,कि वह क्या कर रहा है,जबकि सामने वाला जो साले की पत्नी और पुत्रवधू के रूप में कोई भी हो सकता है,केवल अपने स्वार्थ के लिये ही अपना काम निकालने के प्रति ही अपना रवैया घर के अन्दर चालू करता है,उसका एक ही उद्देश्य होता है,कि राहु की माफ़िक घर के अन्दर झाडू लगाना और किसी प्रकार के पारिवारिक दखलंदाजी को समाप्त कर देना,गाली देना,दवाइयों का प्रयोग करने लग जाना,शराब और तामसी कारणो का प्रयोग करने लग जाना,लगातार यात्राओं की तरफ़ भागते रहने की आदत पड जाना,जब भी दिमाग में अधिक तनाव हो तो जहर आदि को खाने या अधिक नींद की गोलियों को लेने की आदत डाल लेना,अपने ऊपर मिट्टी का तेल या पैट्रोल डालकर आग लगाने की कोशिश करना,राहु ही वाहन की श्रेणी में आता है,उसका चोरी हो जाना,शराब और शराब वाले कामो की तरफ़ मन का लगना,शहर या गांव की सफ़ाई कमेटी का सदस्य बन जाना,नगर पालिका के चुनावों की तरफ़ मन लगना,घर के किसी पूर्वज का इन्तकाल हो जाना और अपने कामों की बजह से उसके क्रिया कर्म के अन्दर शामिल नही कर पाना आदि बातें सामने आने लगती है,जब व्यक्ति इतनी सभी बातो से ग्रसित हो जाता है,तो राहु के लिये वैदिक रीति से काफ़ी सारी बातें जैसे पूजा पाठ और हवन आदि काम बताये जाते है,जाप करने के लिये राहु के मन्त्रों को बताया जाता है।*

*परिवार में चन्द्रमा के खराब होने की पहिचान होती है कि घर के किसी व्यक्ति को ह्रदय वाली बीमारी हो जाती है,और घर का पैसा अस्पताल में ह्रदय रोग को ठीक करने के लिये जाने लगता है,ह्रदय का सीधा सा सम्बन्ध नशों से होता है,किसी कारण से ह्रदय के अन्दर के वाल्व अपना काम नही कर पाते है,उनके अन्दर अवरोध पैदा हो जाता है,और ह्रदय के अन्दर आने और जाने वाले खून की सप्लाई बाधित हो जाती है,लोग अस्पताल में जाते है,लाखो रुपये का ट्रीटमेंट करवाते है,दो चार साल ठीक रहते है फ़िर वहीं जाकर अपना इलाज करवाते है,मगर हो वास्तब में होता है,उसके ऊपर उनकी नजर नही जाती है,ह्रदय रोग के लिये चन्द्रमा बाधित होता है,तभी ह्रदय रोग होता है,और चन्द्रमा का दुश्मन लालकिताब के अनुसार केवल बुध को ही माना गया है,कुन्डली का तीसरा भाव ही ह्रदय के लिये जिम्मेदार माना जाता है,इसका मतलब होता है,कि कुन्डली का तीसरे भाव का चन्द्रमा खराब है,इस के लिये बुध का उपाय करना जरूरी इसलिये होता है कि बुध ही नशों का मालिक होता है,और किसी भी शारीरिक प्रवाह में अपना काम करता है,बुध के उपाय के लिये कन्या भोजन करवाना और कन्या दान करना बहुत उत्तम उपाय बताये जाते है,इसके अलावा तुरत उपाय के लिये कन्याओं को हरे कपडे दान करना और कन्याओं को खट्टे मीठे भोजन करवाना भी बेहतर उपाय बताये जाते है.*

*स्नायु रोगों के लिये बुध को ही जिम्मेदार माना जाता है,संचार का मालिक ग्यारहवां घर ही माना जाता है,आज के वैज्ञानिकों ने साबित कर दिया है,किकि किसी भी प्रकार से ग्यारहवां घर शनि का घर नही है,शनि कर्म का दाता है,और शनि के लिये संचार का मालिक होना नही के बराबर है,युरेनस को संचार का मालिक कहा गया है,और ग्यारहवा,सातवां और तीसरा घर आपस में मुख्य त्रिकोण भी बनाते है,इस प्रकार से यह त्रिकोण जीवन साथी या साझेदार के साथ अपना लगाव भी रखता है,स्नायु रोग का मुख्य कारण अति कामुकता होती है,वीर्य जो शरीर का सूर्य होता है,और इस सूर्य का सहगामी और सबसे पास रहने वाला ग्रह बुध ही इसे संभालकर रखता है,अगर किसी प्रकार से यूरेनस की चाल इसकी समझ मे आजाता है,तो यह शरीर के अन्दर लगातार चलता रहता है,इसके चलते ही और अपने को प्रदर्शित करने के चक्कर में यह उल्टी सीधी जगह पर चला जाता है,दिमाग में विरोधी सेक्स के प्रति अधिक चाहत रहने से यह अपने को अपने स्थान पर रोक नही पाता है,और खराब हो जाता है,इसके कारण ही नशों में दुर्बलता और की चमक चली जाती है,हाथ पैर और शरीर के अवयव सुन्न से हो जाते है,दिमाग में कितनी ही कोशिशों के बाद भी कोई बात नही बैठ पाती है,याददास्त कमजोर हो जाती है,कोई भी किया गया काम कुछ समय बाद दिमाग से निकल जाता है,उचित उपाय करके समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है।*