शनिवार, 16 मई 2020

ईक्षाओ का अंत नही

जीवन में हम एक बात को हमेशा याद रखे कि ब्रमांड अनंत है और इसकी शक्तियां भी अनंत हैं । हर व्यक्ति को उसकी ऊर्जा के आधार पर सब कुछ प्राप्त होता है । लेकिन उसके बाद भी वो कभी  मनुषय जन्म से पूर्ण होकर नही जा सकता । क्योंकि अनंत को पाना बहुत ही कठिन कार्य है । इस कार्य मे सबसे बड़ी बाधा हमारी इक्षायें होती है । मन का कारक चंदमा है जिसके  27 नक्षत्र ही उसकी पत्नियां है । इसी प्रकार मन  को रोकना या कंट्रोल करना ही असीमित शक्ति को पा लेना है ।  कभी एक गाना सुना करता हूं । जिसमें कवि में बड़ी सुंदरता से मन की बात कही है । गाने के बोल है तोरा मन दर्पण कहलाये । मन ही देवता मन ही ईश्वर मन से बड़ा न कोई ।।  मन कब शांत होगा जब हम इक्षाओं से पूर्ण हो पाए लेकिन इक्षायें ऐसी है जो कभी पूरी नही होती । हर व्यक्ति अपने से ऊपर वाले को देखकर एक प्रतिस्पर्धा में लगा हुआ है । अरे कभी सोचना जिस चन्द्र्मा को भगवान शंकर ने अपने शिरोधार्य किया है वो इतना सरल तो नही हो सकता कुछ तो विशेष है । यहां शिव जी ने संकेत दिया है कि अगर मन को कंट्रोल नही किया तो सिर चढ़कर बोलने लगता है  । इसीलिए सबसे पहले अपनी ईक्षाओ को सीमित करो । में यह नही कहूँगा की आप  अपनी ईक्षाओ को दबा लो  । लेकिन मन अगर आपका  क़ाबू होकर  चलेगा तो वो सभी इक्षाये भी पूर्ण हो सकेगी जो आप अपने मनोबल से ओर अपनी मन की गति से चाहोगें तो ज़रूर प्राप्ति कर सकेगी । फिर चाहें वो भौतिक हो या आध्यात्मिक , सारा खेल मन से जुड़ा हैं । जय मॉइ की जय गुरुदेब Dr. Vikas deep sharma shri manshapoorn jyotish 

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